
संजय कौशिक। राज्य की सत्ता की चाबी जयपुर संभाग से ही निकलती है। दरअसल प्रदेश के 200 विधानसभा क्षेत्रों (Rajasthan Chunav 2023) में से एक चौथाई यानी 50 सीटों को अपने आप में समेटे अकेले जयपुर संभाग में मौजूदा चुनाव में भाजपा ने 26 सीटें जीतकर बाजी मारी और कांग्रेस को 24 सीटें ही मिल पाई। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 30 और भाजपा को मात्र 10 सीटें मिली थी। यानी संभाग में कोई भी अन्य दल या निर्दलीय नहीं जीत पाया, जबकि पिछले चुनाव में सात निर्दलीय और तीन बसपा के उम्मीदवार जीते थे।
जयपुर संभाग से भारतीय जनता पार्टी की ओर से चार सांसदों को प्रत्याशी बनाया गया था, जिनमें से तीन दिया कुमारी (विद्याधर नगर), राज्यवर्धन सिंह (झोटवाड़ा) और महंत बालकनाथ (तिजारा) ने जीत दर्ज की, जबकि नरेंद्रसिंह खींचड़ (मंडावा) रीटा चौधरी से शिकस्त खा बैठे। बड़े नतीजे ये भी रहे कि जहां नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ तारानगर से तो उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया आमेर से चुनाव हार गए। लाल डायरी से सूबे में सियासी तूफान खड़ा करने वाले पूर्व मंत्री और शिवसेना-शिंदे के प्रत्याशी राजेंद्र गुढ़ा तीसरे नंबर पर रहे।
मंत्री रहे प्रत्याशियों की राह भी आसान नहीं रही। दौसा जिले में परसादीलाल मीणा, ममता भूपेश को जनता ने नकार दिया, जबकि मुरारीलाल मीणा ने जीत दर्ज की। अलवर में टीकाराम जूली जीते तो शकुंतला रावत शिकस्त खा बैठीं। परिवहन मंत्री चुनाव नहीं जीतते हैं, का मिथक तोड़ते हुए बृजेंद्र ओला ने जीत दर्ज की। नाथी का बाड़ा तो कभी ईडी कार्रवाई से चर्चा में रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने लक्ष्मणगढ़ से जीत दर्ज की। हालांकि विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष दीपेंद्र शेखावत को जनता ने नकार दिया। गहलोत मंत्रिमंडल में बयानों के लिए चर्चित रहे मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भी हार गए। ईडी की कार्रवाई से चर्चा में आए मंत्री राजेंद्र यादव भी जयपुर ग्रामीण के कोटपूतली क्षेत्र से शिकस्त खा बैठे।
Published on:
05 Dec 2023 10:30 am
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