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जयपुर

Rajasthan Fake Organ Transplant Case : सामने आई ये हैरान करने वाली बातें, दूतावास से भी जुड़े हो सकते हैं रैकेट के तार

प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण 11 निजी व 4 सरकारी अस्पतालों में होता है। यहां एक साल में 945 अंग प्रत्यारोपण किए गए। जिनमें 882 किडनी तथा 51 लीवर के मामले थे। इनमें से 171 विदेशियों के मामले थे। हालांकि पुलिस की जांच अभी तक तीन अस्पतालों तक ही जुड़ी है, जहां वर्ष 2021 के बाद 427 किडनी ट्रांसप्लांट हुए, जिनमें 246 विदेशी थे।

जयपुरMay 16, 2024 / 01:55 pm

जमील खान

Jaipur News : जयपुर . अंग प्रत्यारोपण के लिए सवाई मानसिंह अस्पताल से फर्जी एनओसी जारी होने की भनक अस्पताल प्रशासन और अन्य एजेंसियों को भले ही नहीं लगी, लेकिन यह बात नेपाल, बांग्लादेश, कम्बोडिया व अन्य देशों तक पहुंच गई। इन देशों में सक्रिय किडनी रैकेट ने फर्जी एनओसी वालों से सम्पर्क साध लिया। इसी का असर है कि खास तौर पर राजधानी के कुछ निजी अस्पतालों में अचानक विदेशियों के किडनी ट्रांसप्लांट बढ़ गए। पुलिस जांच में सामने आया कि इन अस्पतालों में वर्ष 2021 में 11 तो वर्ष 2023 में 124 विदेशियों ने किडनी ट्रांसप्लांट करवाए। यहां फर्जी एनओसी में एसीबी की कार्रवाई से पहले तक तीन माह में ही 68 ट्रांसप्लांट हो चुके थे। सरकारी व अन्य निजी अस्पतालों में हुए ऑपरेशनों की अभी जानकारी जुटाई जा रही है।
प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण 11 निजी व 4 सरकारी अस्पतालों में होता है। यहां एक साल में 945 अंग प्रत्यारोपण किए गए। जिनमें 882 किडनी तथा 51 लीवर के मामले थे। इनमें से 171 विदेशियों के मामले थे। हालांकि पुलिस की जांच अभी तक तीन अस्पतालों तक ही जुड़ी है, जहां वर्ष 2021 के बाद 427 किडनी ट्रांसप्लांट हुए, जिनमें 246 विदेशी थे। फर्जी एनओसी का खेल सवाई मानसिंह अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह ने वर्ष 2021 में शुरू किया था। जांच में खुलासा हुआ है कि विदेशियों में अधिकांश डोनर खरीदे हुए थे।
Rajasthan News : अधिकतर विदेशियों ने बताया अंकल-नेफ्यू
प्रदेश या अन्य राज्यों से आने वाले मरीज अपने आवेदन में डोनर से रिश्ता स्पष्ट रूप से दर्शाते थे। जबकि विदेशियों के आवेदनों में अंकल और नेफ्यू लिखा है। पुलिस जांच कर रही है कि इनके रिश्तों को लेकर कितनी पड़ताल की गई थी। दूतावास अधिकारी डोनर को ब्लड रिलेशन का बताकर एनओसी जारी कर रहे थे। अस्पताल प्रबंधन दूतावास से तस्दीक करता, तब भी खरीदे हुए डोनर को ब्लड रिलेशन का बताकर एनओसी जारी की। पुलिस जांच में जयपुर के कुछ अस्पतालों में बांग्लादेश, कम्बोडिया, घाना, नेपाल व मोरक्को के नागरिकों के अंग प्रत्यारोपण किए गए।
Rajasthan Samachar : उच्च स्तरीय कमेटी ने उजागर किए ये आंकड़े
– गत एक वर्ष में 945 प्रत्यारोपण हुए। इनमें से 82 सरकारी अस्पतालों एवं 863 निजी अस्पतालों में हुए।

– इनमें से 933 का रिकॉर्ड उपलब्ध हुआ। 933 में 882 किडनी तथा 51 लीवर के ट्रांसप्लान्ट।
– 269 ऐसे मामले, जिनमें डोनर एवं रिसीवर नजदीकी रिश्तेदार नहीं।

– 171 प्रत्यारोपण विदेशी नागरिकों के। – विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण मुख्यत: चार अस्पतालों में हुए।

– फोर्टिस अस्पताल में 103, ईएचसीसी में 34, मणिपाल हॉस्पिटल में 31 तथा महात्मा गांधी अस्पताल में 2 विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण हुए।
डॉ. बागड़ी सस्पेंड, अचल-बगरहट्टा को थमाया नोटिस
फर्जी एनओसी जारी करने के मामले की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने बुधवार को राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। जिसके बाद सरकार ने एसएमएस अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. राजेंद्र बागड़ी को पद से सस्पेंड कर दिया है। साथ ही डॉ. बागड़ी समेत एसएमएस मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव बगरहट्टा व अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा को 16 सीसीए नोटिस थमाया है। इस मामले को लेकर चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने एसएमएस अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2020 से यह खेल चल रहा था। चेन्नई व बुलंदशहर मेें प्रत्यारोपण के लिए जारी एनओसी की प्रमाणिकता को लेकर संदेह पैदा हुआ था, तब वहां से इस संबंध में पत्र भी लिखकर चेताया गया था। उस समय एक्शन लेते तो अपराध को पहले ही रोका जा सकता था। चिकित्सा मंत्री का कहना है कि वर्ष 2020 से 2023 तक इस मामले में विभिन्न स्तर पर लापरवाही हुई है। अब चिकित्सा विभाग ने इसका भण्डाफोड़ किया है।
अधिकांश में डोनर खरीदा हुआ, अचानक बढ़ गए ट्रांसप्लांट के मामले
विदेश से आने वाले मरीज और डोनर विदेश यात्रा के वैध दस्तावेज के साथ भारत आए थे। अभी तक एक भी मामले में यात्रा संबंधी दस्तावेज में गड़बड़ी नहीं मिली है। इन दस्तावेज के साथ अस्पताल व एनओसी संबंधी दस्तावेज भी लाते थे। कुछ अहम दस्तावेज वे सम्बंधित देश के दूतावास से तस्दीक करा कर लाते थे। इसमें सबसे अहम मरीज और डोनर के बीच सम्बंध बताने वाला दस्तावेज भी था। ऐसे में दूतावास की भूमिका संदेह के घेरे में है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि ऑपरेशन से पहले और बाद में अस्पतालों की ओर से दूतावास को भेजे जाने वाली जानकारी नियमानुसार सही थी या नहीं।

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