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‘लाल किले’ के बाद अब ‘संसद घेराव’ की प्लानिंग, राजस्थान के किसानों को तैयार रहने का आह्वान

राजस्थान के किसानों ने भी भरी आंदोलन तेज़ करने की हुंकार, दौसा के मीना सीमली में हुई महापंचायत में एकजुट हुए किसान, शाहजहांपुर बॉर्डर सहित पूर्वी राजस्थान के विभिन्न जिलों से पहुंचे किसान, किसान नेता बोले- ‘बन रही संसद घेराव की योजना, जल्द होगी घोषणा’  

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जयपुर।

केंद्रीय कृषि कानून के विरोध में अब किसान ‘संसद घेराव’ की योजना पर काम कर रहे हैं। दौसा के मेहंदीपुर बालाजी स्थित मीना सीमला गांव में एकत्रित हुए पूर्वी राजस्थान के किसानों की महापंचायत में किसानों को संसद घेराव के लिए तैयार रहने का आह्वान किया गया। साथ ही विभिन्न जिलों से पहुंचे किसानों ने एकजुट होकर तिरंगे का सम्मान करने की भी हुंकार भरी।

गौरतलब है कि किसान आंदोलन में शामिल बड़ी संख्या में किसान 26 जनवरी को दिल्ली कूच करते हुए लाल किले की प्राचीर तक पहुँच गए थे। इस दौरान दिल्ली में कई जगहों पर किसानों की पुलिस से झड़पें हुईं और माहौल हिंसात्मक रूप ले गया। किसानों ने इस पूरे घटनाक्रम को सोची समझी साजिश करार देते हुए किसानों को बेक़सूर बताया।

‘संसद घेराव’ की तैयारी, जल्द होगी घोषणा
किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए कुछ किसान नेता और पदाधिकारी विशेष रूप से दिल्ली सीमा के शाहजहांपुर बॉर्डर पर जारी पड़ाव से पहुंचे। किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर संघर्षरत किसान अब आंदोलन को और तेज़ करने की तैयारी में जुटा है। अब आंदोलन के तहत संसद घेराव की योजना है जिसकी घोषणा जल्द ही कर दी जायेगी।

तिरंगे का सम्मान करता है किसान
महापंचायत में जुटे किसानों ने एकजुट होकर तिरंगे का सम्मान करने को लेकर आवाज़ बुलंद की। किसानों ने कहा कि किसान पहले भी तिरंगे का सम्मान करता आया है और आगे भी करता रहेगा। किसान नेताओं ने कहा कि 26 जनवरी को एक तय रणनीति के अनुसार किसान आंदोलन और किसान क़ौम को बदनाम करने की साजिश की गई।

किसान नेताओं ने सरकार को फिर चेतावनी देते हुए कहा कि किसान आंदोलन को दबाने की हर कोशिशों को नाकाम किया जाएगा। जब तक तीनों काले क़ानून वापस नहीं हो जाते तब तक आंदोलन जारी रहेगा। फिलहाल दिल्ली के चारों बॉर्डर सील हैं और रहेंगे। आरएसएस व भाजपा को सबक़ सिखाने का काम अब किसान करेगा।

26 जनवरी से कई किसान लापता
किसान महापंचायत में शाहजहांपुर बॉर्डर से पहुंचे किसान नेताओं ने बताया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन हुए ट्रेक्टर मार्च और दिल्ली कूच के घटनाक्रम के बाद से सौ से अधिक किसान लापता चल रहे हैं। आंदोलन की अगुवाई कर रहे सयुंक्त किसान मोर्चा से जुड़े नेताओं ने किसानों के लापता होने पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि लापता किसानों के बारे में जानकारी संकलित करने की कोशिश की जा रही है।

किसानों के निशाने पर आरएसएस
किसान महापंचायत में पूर्वी राजस्थान के किसानों के निशाना पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आरएसएस भी रही। किसान नेताओं ने कहा कि आरएसएस ने 52 साल तक तिरंगा अपने नागपुर मुख्यालय पर नहीं फहराया और आज वो किसानों को तिरंगे का सम्मान करना सिखा रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि तिरंगे का सम्मान किसानों के दिल में बसता है। किसान का बेटा जब शहीद होता हैं वो तिरंगे में लिपटा हुआ आता है।

आंदोलन को कुचलने की हो रही कोशिश
संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि सरकार विभिन्न माध्यमों से लगातार किसान आंदोलन को कुचलने व बदनाम करने की कोशिशें कर रही है। सरकार आंदोलनकारियों की बिजली-पानी सप्लाई व इंटरनेट बंद करने की ओछी हरकत पर उतारू है। लेकिन अब तक सरकारी हथकंडे विफल हो चुके हैं। आंदोलन पहले से और ज्यादा बड़ा और मजबूत हुआ है।

शाहजहांपुर बॉर्डर पहुँचने की अपील
किसान नेताओं ने महापंचायत में शामिल हुए पूर्वी राजस्थान के किसानों को ज़्यादा से ज़्यादा की संख्या में शाहजहांपुर बॉर्डर में जारी पड़ाव में शामिल होने का आह्वान किया। नेताओं ने कहा कि पड़ाव स्थल पर किसानों के ठहरने और भोजन-पानी से लेकर तमाम व्यवस्थाएं की जा रही हैं। ऐसे में किसान आंदोलन को और मजबूती देने के लिए किसान पड़ाव स्थल पर पहुंचे।