
राजस्थान की लोककथाएं दुनिया में मशहूर, चल मेरी ढ़ोलकी धमाक धम
जयपुर
प्रवासी बच्चों को राजस्थान की संस्कृति से जोड़ने के लिए राजस्थान फाउंडेशन की ओर से अनूठी पहल की गई। प्रवासी राजस्थानियों के लिए ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जो प्रवासी परिवारों के बच्चाें पर केंद्रीत रहा। इसमें उन्हें उनकी माटी की लोककथा ( Lok Katha ) सुनाने का प्रयास किया गया। इसमें ऑस्ट्रेलिया, दुबई, रंगून, यूनाइटेड किंगडम ( United Kingdom ) और अमेरिका सहित कई देशों के बच्चों ने हिस्सा लिया। इनमें करीब 150 बच्चे ऑनलाइन रूम से जुडें। वहीं, हजारों ने सोशल मीडिया के जरिए लाइव देखा।
रोचक रहा लोककथा का सुनना
अमेरिका से सीमा मूंदरा कार्यक्रम में जुडी। उन्होने रोचक तरीके से लोक कथा 'चल मेरी ढोल की धमाक धम' सुनाई। साथ ही कैलाश कबीर देथा और कुलदीप कोठारी भी कार्यक्रम से जुड़े। इस दौरान कोमल कोठारी ने बच्चो को बताया कि अर्ना झरना संग्रहालय में राजस्थान के जनजीवन, पर्यावरण एवं प्रदर्शनकारी कलाओं की स्थायी एवं अस्थायी झांकियां संजोई गयी हैं। संगीत वाद्यों, कठपुतलियों, आभूषणों, लोकनाट्यों, महाकाव्यों, लोक देवताओं पर विस्तृत अनुसंधान किया है।
राजस्थान की लोककथाएं दुनिया में मशहूर
फाउंडेशन के आयुक्त धीरज श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में कहा कि राजस्थान की लोककथाएं पूरी दुनिया में मशहूर है। उन्ही में से एक लोक कथा व बिज्जी की कहानिया घर—घर में जानी जाती है। फाउंडेशन का काम प्रवासियों को उनके माटी से जोड़ना है। हमनें कई बार देश—विदेश में बैठे प्रवासियों से बात की है। हमें बताया गया है कि वे चाहते है कि नई पीढ़ी भी अपनी संस्कृति को जाने।
Published on:
14 Dec 2020 08:27 pm
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