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प्रदूषित होते पर्यावरण पर चेती सरकार, पीओपी की जगह मिट्टी की मूर्तियों के निर्माण-विसर्जन के आदेश

स्वायत्त शासन विभाग ने पीओपी की बजाय मिट्टी से बनी मूर्तियों का निर्माण करने निर्देश दिए हैं।

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Lord Ganesha

जयपुर। पीओपी की मूर्तियों के निर्माण व विसर्जन से हो रहे पर्यावरण को नुकसान को लेकर राज्य सरकार भी चेती है। स्वायत्त शासन विभाग ने पीओपी की बजाय मिट्टी से बनी मूर्तियों का निर्माण करने निर्देश दिए हैं। इसके लिए सभी संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर व नगरीय निकायों को मंगलवार को आदेश जारी कर दिए। इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 18 जुलाई, 2016 के आदेश का हवाला दिया है।

सभी एजेंसियों को पीओपी की जगह मिट्टी से बनी मूर्ति को विसर्जित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना होगा। ऐसे मूर्तियों का निर्माण भी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की ओर से निर्धारित साइज के आधार पर ही कराना होगा। बताया जा रहा है कि इस आदेश के बाद राजधानी जयपुर समेत राज्य में जहां-जहां पीओपी की मूर्तियां बन रही हैं, उन्हें हटाने की कार्रवाई हो सकती है।

मंत्री तक पहुंचा मामला
यह मामला स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी तक पहुंचा। कुछ लोगों ने मंत्री को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की प्रति सौंपकर राज्य में भी इसकी पालना कराने की जरूरत जताई।

इस प्रकरण में हैं आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में हमर संगवारी (एनजीओ) बनाम स्टेट ऑफ छत्तीसगढ़ व अन्य मामला है। इसमें पीओपी की मूर्तियों, खिलौने से होने वाले नुकसान को लेकर याचिका दायर की गई थी। इसमें अंकित है कि गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा महोत्सव में पीओपी की मूर्तियों के विजर्सन से पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ रहा है।

इनका कहना है
पर्यावरण संरक्षण की हम सभी की जिम्मेदारी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के भी यही आदेश हैं। इसी आधार पर राज्य में भी पीओपी की जगह मिट्टी की मूर्तियों के विसर्जन को प्रोत्साहित करने के लिए आदेश जारी किए गए हैं।
- पवन अरोड़ा, निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग।

हम आपको बता दें कि गणेश चतुर्थी आैर दुर्गा पूजा महोत्सव में पूजन के बाद मूर्तियों को जल में प्रवाहित करने का रिवाज है। राजस्थान में भी तालाब, नदी आैर एेसे ही दूसरे जल स्रोतों में मूर्तियों काे प्रवाहित किया जाता है।