
जयपुर। राजस्थान सरकार ने काला कानून वापस ले लिया है। सरकार का काला कानून को वापस लेना पत्रिका के साथ पाठकों के विश्वास की जीत है। राजस्थान पत्रिका ने पाठकों आैर प्रदेश की जनता के हित में काले कानून का विरोध किया। उपचुनाव में हार के बाद राज्य सरकार को काले कानून के बारे में समझ में आया, जबकि पत्रिका ने इस काले कानून से होने वाली हानियों के बारे में पहले ही बता दिया था। पत्रिका समूह के प्रधान संपादक श्री गुलाब कोठारी ने इस कानून के विराेध में ‘जब तक काला: तब तक ताला’ शीर्षक से पहले पन्ने पर एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने ऐलान किया था कि जब तक यह काला कानून वापस नहीं किया जाता, तब तक राजस्थान पत्रिका मुख्यमंत्री वसुंधरा और उनसे संबंधित कोई खबर नहीं छापेगा।
पढ़ें पूरा लेख-
‘राजस्थान सरकार ने अपने काले कानून के साए से आपातकाल को भी पीछे छोड़ दिया है। देश भर में थू-थू हो गई, लेकिन सरकार ने कानून वापस नहीं लिया। क्या दुःसाहस है सत्ता के बहुमत का। कहने को तो प्रवर समिति को सौंप दिया, किन्तु कानून आज भी लागू है। चाहे तो कोई पत्रकार टेस्ट कर सकता है। किसी भ्रष्ट अधिकारी का नाम प्रकाशित कर दे। दो साल के लिए अंदर हो जाएगा। तब क्या सरकार का निर्णय जनता की आंखों में धूल झोंकने वाला नहीं है?
विधानसभा में सत्र की शुरुआत 23 अक्टूबर को हुई। श्रद्धांजलि की रस्म के बाद हुई कार्य सलाहकार समिति (बी.ए.सी) की बैठक में तय हुआ कि दोनों विधेयक 1. राज. दंड विधियां संशोधन विधेयक, 2017 (भादंस), 2. सीआरपीसी की दंड प्रक्रिया संहिता, 2017. 26 अक्टूबर को सदन के विचारार्थ लिए जाएंगे। अगले 24 अक्टूबर को ही सत्र शुरू होने पर पहले प्रश्नकाल, फिर शून्यकाल तथा बाद में विधायी कार्य का क्रम होना था।
इससे पहले बीएसी की रिपोर्ट सदन में स्वीकार की जानी थी लेकिन अचानक प्रश्नकाल में ही गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने वक्तव्य देना शुरू कर दिया। नियम यह है कि पहले विधेयक का परिचय दिया जाए, फिर उसे विचारार्थ रखा जाए, उस पर बहस हो। उसके बाद ही कमेटी को सौंपा जाए. किंतु प्रश्नकाल में ही हंगामे के बीच ध्वनिमत से प्रस्ताव पास करके विधेयक प्रवर समिति को सौंप दिया गया।
यहां नियमानुसार कोई भी विधायक इस विधेयक को निरस्त करने के लिए परिनियत संकल्प लगा सकता है, जो कि भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी लगा चुके थे और आसन द्वारा स्वीकृत भी हो चुका था। उसे भी दरकिनार कर दिया गया। विधेयक 26 के बजाय 24 अक्टूबर को ही प्रवर समिति को दे दिया गया। सारी परम्पराएं ध्वस्त कर दी गई।
कानून का मजाक देखिए! विधानसभा में दोनों अध्यादेश एक साथ रखे गए. नियम यह भी है कि एक ही केंद्रीय कानून में राज्य संशोधन करता है तो दो अध्यादेश एक साथ नहीं आ सकते। एक के पास होने पर ही दूसरा आ सकता है, ऐसी पूर्व के विधानसभा अध्यक्षों की व्यवस्थाएं हैं। एक विधेयक जब कानून बन जाए तब दूसरे की बात आगे बढ़ती है।
यहां दोनों विधेयकों को एक साथ पटल पर रखा दिया गया। यहां भी माननीय कटारिया जी अति उत्साह में पहले दूसरे विधेयक (दंड प्रक्रिया संहिता, 2017) की घोषणा कर गए. वो प्रवर समिति को चला गया। अब दूसरा कैसे जाए? तब सदन को दो घंटे के लिए स्थगित करना पड़ा। फिर उसके साथ पहले घोषित बिल भी 26 अक्टूबर के बजाय 25 अक्टूबर को ही समिति के हवाले कर दिया गया। बिना किसी चर्चा के-बिना बहस के।
देखो तो! कानून भी काला, पास भी नियमों व परंपराओं की अवहेलना करते हुए किया गया। और जनता को जताया ऐसे मानो कानून सदा के लिए ठंडे बस्ते में आ गया। ऐसा हुआ नहीं। नींद की गोलियां बस दे रखी हैं। जागते ही दुलत्ती झाड़ने लगेगा। और लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हत्या हो जाएगी।
कानून क्या रास्ता लेगा, यह समय के गर्भ में है. आज भी वहां कई प्रश्नचिन्ह लगते हैं। जब एक राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को जेब में रखकर अपने भ्रष्ट सपूतों की रक्षा के लिए कानून बनाती है, तब चर्चा कानून की पहले होनी चाहिए अथवा अवमानना की? जब तक तारीखें पड़ती रहेंगी, अध्यादेश को कंठ पकड़ेगा ही।
क्या उपाय है इस बला से पिंड छुड़ाने का। राजस्थान पत्रिका राजस्थान का समाचार पत्र है। सरकार ने हमारे मुंह पर कालिख पोतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्या जनता मन मारकर इस काले कानून को पी जाएगी? क्या हिटलरशाही को लोकतंत्र पर हावी हो जाने दें? अभी चुनाव दूर है। पूरा एक साल है लंबी अवधि है. बहुत कुछ नुकसान हो सकता है।
राजस्थान पत्रिका ऐसा बीज है जिसके फल जनता को समर्पित है। अत: हमारे संपादकीय मंडल की सलाह को स्वीकार करते होते निदेशक मंडल ने यह निर्णय लिया है कि जब तक मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे इस काले कानून को वापस नहीं लेतीं, तब तक राजस्थान पत्रिका उनके एवं उनसे संबंधित समाचारों का प्रकाशन नहीं करेगा।
यह लोकतंत्र की, अभिव्यक्ति की, जनता के मत की आन-बान शान का प्रश्न है। आशा करता हूं की जनता का आशीर्वाद सदैव की भांति बना रहेगा। जय भारत, जय लोकतंत्र।’
Updated on:
19 Feb 2018 06:59 pm
Published on:
19 Feb 2018 06:51 pm
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