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राजस्थान हाईकोर्ट में हुई 81 विधायकों के इस्तीफा प्रकरण पर सुनवाई, अब स्पीकर के आदेश को दी गई चुनौती

बड़ी खबर। राजस्थान हाईकोर्ट में आज 81 विधायकों के इस्तीफा प्रकरण पर सुनवाई हुई। अब स्पीकर के आदेश को चुनौती दी गई। जानें मामला....

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Rajendra Singh Rathore

राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ की राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ में 81 विधायकों के सितंबर 2022 में त्यागपत्र देने और 110 दिन तक स्पीकर द्वारा इस्तीफों पर निर्णय नहीं किए जाने की PIL पर आज मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में सुनवाई हुई। राजेन्द्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में संशोधित रिट याचिका पेश की और 13 जनवरी 2023 के विधानसभा अध्यक्ष के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष ने 81 विधायकों के स्वेच्छा से त्यागपत्र नहीं देने की टिप्पणी आई थी। हाईकोर्ट में बहस करते हुए राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि दल-बदल कानून से बचने के लिए कांग्रेस के अंतर्विरोध के चलते अपने आलाकमान को दबाव में लेने की रणनीति के तहत विधायकों ने त्यागपत्रों के घटनाक्रम के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र को कमजोर किया है।

राजेन्द्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में बहस में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों के त्यागपत्र देने के 110 दिन तक उन पर निर्णय नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है, इसलिए हाईकोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश 2 जनवरी और 20 जनवरी 2023 को इस याचिका में विधिक बिन्दु सृजित किया था कि विधानसभा अध्यक्ष को निर्णय लेने के लिए कितना समय लगना चाहिए, इसका निर्धारण होना अभी शेष है।



विधानसभा अध्यक्ष के वैधानिक अधिकारों पर हाईकोर्ट करे सुनवाई

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार को बचाने के लिए जिन 6 बहुजन समाज पार्टी के विधायकों से दल बदल करवाकर कांग्रेस विधायक दल में शामिल किया था, उनका निर्णय भी अभी तक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लंबित है। अब चूंकि 16वीं विधानसभा के गठन का नोटिफिकेशन जारी हो गया है, इसलिए यह उचित होगा कि भविष्य में कोई भी विधानसभा अध्यक्ष अपने वैधानिक अधिकारों का इस तरह से दुरुपयोग नहीं करें इसलिए हाईकोर्ट इस मामले को आवश्यक रुप से निर्णय करें।

संशोधित रिट पिटिशन की ख़ास बातें

- प्रार्थना पत्र में स्वयं के इस्तीफों के साथ अन्य 75 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपने वाले विधायक महेश जोशी, शांति धारीवाल, रामलाल जाट, महेन्द्र चौधरी, रफीक खान और संयम लोढ़ा को पक्षकार बनाने की प्रार्थना की गई है ताकि माननीय न्यायालय के समक्ष यह तथ्य सामने आ सके कि आखिरकार किसके दबाव में उन्होंने 81 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे जिन्हें बाद में विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों ने लिखित में कहा कि हमारे त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं थे। स्पीकर के आदेश के अनुसार शेष 75 विधायकों के त्यागपत्र भी इन्हीं 6 विधायकों ने उन्हें सौंपे थे। इन 6 विधायकों ने चूंकि स्वयं त्यागपत्र सौंपे थे, इसलिए इनके इस्तीफे 25 सितंबर 2022 से ही स्वीकार माने जाने योग्य है।

- विधानसभा अध्यक्ष का 81 विधायकों के इस्तीफे अस्वीकार करने का दिनांक 13 जनवरी 2023 का आदेश पूरी तरह क्षेत्राधिकारहीन आदेश है। संविधान के अनुच्छेद 190 (3) (b) व विधानसभा के प्रक्रिया के नियम 173 (3) में विधानसभा अध्यक्ष को मात्र त्यागपत्र के स्वैच्छिक नहीं होने के संबंध में संक्षिप्त जांच करने के पश्चात् स्वैच्छिक नहीं पाये जाने की स्थिति में ही उन्हें स्वीकार नहीं करने का अधिकार प्राप्त है। विधानसभा अध्यक्ष ने स्वयं के अपने आदेश में माननीय न्यायालय के समक्ष माना है कि उनके द्वारा कोई जांच ही नहीं की गई है और मात्र विधायकों द्वारा त्यागपत्र स्वैच्छिक नहीं बताये जाने के आधार पर ही त्यागपत्र अस्वीकार घोषित किये गये हैं। अतः 81 विधायकों के सामूहिक त्यागपत्र के प्रकरण पर आज दिनांक तक वैधानिक आदेश पारित किया जाना लंबित है।

- 81 विधायकों से उनकी सहमति के बगैर दबाव में लेकर त्यागपत्र हस्ताक्षरित करवा लेना राजस्थान में आज तक घटा सबसे बड़ा अपराध है जिसको कारित करने वाले व्यक्तिय़ों व आपराधिक षड्यंत्र को चिन्हित करना आवश्यक है। 81 विधायकों ने यह तथ्य छिपाया है कि उनके त्यागपत्र प्रस्तुत करवाने वाला व पुनः वापिस करवाने वाला वास्तविक खलनायक कौन था?

- संशोधित याचिका में यह प्रार्थना की गई है कि इन 81 विधायकों ने 25 सितंबर 2022 से आज दिनांक तक करीबन 18 करोड़ रुपए के वेतन-भत्ते प्राप्त कर लिये हैं जो कि उनका वैधानिक अधिकार नहीं है। अतः इस प्रकरण को पुनः विधानसभा अध्यक्ष को रिमांड किया जावे अथवा विकल्प में माननीय उच्च न्यायालय इस संबंध में आदेश पारित करें।

- राजेन्द्र राठौड़ ने माननीय हाईकोर्ट की खंडपीठ में सुनवाई के पश्चात् प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस के अतंर्विरोध का खामियाजा राजस्थान की जनता ने कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार औऱ कुशासन के रूप में पूरे 5 साल भुगता है। जिसका अंत आगामी विधानसभा चुनावों में निकट है।