
राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़िताओं को मुआवजे से संबंधित करीब दो दशक पुराने मामले में निर्देश दिया कि वर्ष 2009 से पहले के मामलों में भी पीड़ित बालिकाएं 3 लाख रुपए पाने की हकदार हैं। इस मामले में मुख्य सचिव और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) के सदस्य सचिव को उचित कार्रवाई करने को कहा। मुआवजे का यह आदेश उन मामलों में ही लागू होगा, जिनमें सीआरपीसी धारा 357 में संशोधन से पहले के मामलों में मुआवजे के लिए क्लेम लंबित हों।
न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में वर्ष 2006 में पेश पीडिता के पिता की याचिका का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया। अधिवक्ता नयना सराफ ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी की दो साल की बेटी से 19 जुलाई, 2004 को बलात्कार हुआ। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 31 मई, 2005 को दोषी को 10 साल की जेल और 500 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई, लेकिन पीडिता को मुआवजे के संबंध में आदेश नहीं दिया। याचिकाकर्ता ने कलक्टर को प्रार्थना पत्र पेश कर 3 लाख रुपए मुआवजे की मांग की, जिस पर मुख्यमंत्री राहत कोष से सिर्फ दस हजार रुपए दिए गए। मामला लंबित रहने के दौरान सीआरपीसी में संशोधन हुआ और पीडित प्रतिकर स्कीम, 2011 लागू हुई। इस स्कीम में नाबालिग बलात्कार पीडिता को तीन लाख रुपए देने का प्रावधान किया गया।
यह भी बोला कोर्ट...
नाबालिग बालिका से बलात्कार न सिर्फ उसके लिए शारीरिक यातना है, बल्कि ऐसा अपराध उसे मानसिक प्रताड़ना भी दे
Updated on:
04 Jan 2024 09:26 am
Published on:
04 Jan 2024 09:24 am
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