
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में चार दिन से हड़ताल पर चल रहे सरकारी डॉक्टरों को फौरन काम पर लौटने अन्यथा उनके खिलाफ अदालती आदेश की अवमानना की कार्यवाही की चेतावनी दी है। कोर्ट ने सरकार को भी काम पर लौटने वाले डॉक्टरों को गिरफ्तार नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
चीफ जस्टिस प्रदीप नान्द्रजोग व जस्टिस डी.सी.सोमानी की बैंच ने यह अंतरिम आदेश अभिनव शर्मा की अवमानना याचिका पर दिए। याचिका में डॉक्टरों के खिलाफ अदालती आदेश की अवहेलना कर हड़ताल करने पर और सरकार से हुए समझौते की क्रियान्वति पर भी रोक लगाने की गुहार की है।
यााचिकों ने कहा कि सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों का ट्रांसफर करना सरकार का अधिकार है और इसी अधिकार व नीति के तहत डॉक्टरों के ट्रांसफर किए गए हैं। ऐसे में एक चिकित्सक डॉ. अजय चौधरी का रवैया गलत है और व्यक्तिगत हित के कारण आमजन की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी। राजस्थान में सेवारत डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था बिगड़ गई है।
मरीजों पर आफत, डॉक्टर सोशल मीडिया पर तो मंत्री बयानों में व्यस्त
प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक में मरीज इलाज के लिए धक्के खा रहे हैं। सेवारत चिकित्सकों के साथ ही मेडिकल कॉलेजों के रेजीडेंट्स के हड़ताल पर चले जाने से पूरे प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्थाएं बेपटरी हो गई हैं और मरीजों की जान पर आफत आ गई है। सबसे ज्यादा खराब हालत वार्डों में भर्ती मरीजों की है।
बीते चौबीस घंटे से न तो उनको कोई दवाई लिखने वाला है और न ही उनको जांचें लिखी गई हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के वैकल्पिक इंतजाम चौबीस घंटे में ही धराशायी हो गए हैं। सीनियर रेजीडेंट नहीं होने से मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों की व्यवस्थाएं वेंटीलेटर पर आ गई हैं। उधर चिकित्सा मंत्री सोमवार को भी बयानों में उलझे रहे तो सेवारत चिकित्सक और रेजीडेंट भूमिगत होकर सोशल मीडिया सरकार को कोसने में व्यस्त रहे।
मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्थाएं बेपटरी
सेवारत चिकित्सक और रेजीडेंट के हड़ताल पर जाने के बाद सोमवार को सीनियर रेजीडेंट भी हड़ताल पर चले गए। जिससे प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई। हड़ताल का सबसे ज्यादा असर एसएमएस अस्पताल में देखने को मिल रहा है। यहां आज भी ऑपरेशन टाल दिए गए हैं और किसी तरह से इमरजेंसी ऑपरेशन किए जा रहे हैं। वहीं वार्डों में मरीज आज भी दवाओं की पर्ची लिखवाने के लिए इंतजार करते रहे, लेकिन उनको दवाओं की पर्ची नहीं लिखी गई।
मंत्री के दावे हवाई, प्रदेश में पांच की मौत
सेवारत चिकित्सकों, रेजीडेंट और सीनियर रेजीडेंट के हड़ताल पर चले जाने के बाद जिलों में भी हालात खराब हो गए हैं। मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रह है। चिकित्सा मंत्री के दावे के विपरीत प्रदेश में इलाज नहीं मिलने से पांच मरीजों की मौत हो गई। दूसरी ओर जिन चिकित्सकों को हड़ताल के दौरान अस्पतालों में तैनात किया गया, वे व्यवस्थाएं नहीं संभाल सके।
स्वास्थ्य भवन में कागजी नियंत्रण कक्ष
हड़ताल को देखते हुए विभाग ने स्वास्थ्य भवन में कागजी नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है। इस नियंत्रण कक्ष में तीन आरएएस अफसरों को बैठाया गया है। लेकिन तीनों आरएएस अफसर सिर्फ यही जानकारी जुटाते हैं कि कितने डॉक्टर ड्यूटी पर आए और कितने नहीं? मरीजों को इलाज नहीं मिलने जैसी समस्याओं का इस नियंत्रण कक्ष में बैठने वाले अफसरों के पास कोई समाधान नहीं होता है।
मंत्री को मनोचिकित्सालय में इलाज की सलाह दी
चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ सोमवार को दिन भर चिकित्सकों की हड़ताल पर कभी सचिवालय तो कभी स्वास्थ्य भवन में बयान देते रहे, वहीं सेवारत चिकित्सक और रेजीडेंट मरीजों का इलाज छोड़कर सोशल मीडिया पर चिकित्सा मंत्री और सरकार को कोसते रहे। सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने सोशल मीडिया पर चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ को उनकी दिमागी हालत का मनोचिकित्सालय में चेकअप कराने की सलाह दी।
Published on:
19 Dec 2017 04:15 pm
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