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Rajasthan High Court: सड़क चौड़ीकरण अभियान पर हाईकोर्ट का शख्त आदेश, बगैर इन नियमों का पालन किए नहीं गिरेंगी दुकानें

Rajasthan High Court: जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने 15 दिनों के भीतर एक समिति के गठन का निर्देश दिया है। यह समिति लोगों की आपत्तियों की समीक्षा करेगी और प्रत्येक मामले पर अलग-अलग निष्पक्ष रूप से निर्णय लेगी।

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जयपुर

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Kamal Mishra

May 27, 2025

Rajasthan High Court

प्रतीकात्मक तस्वीर ( फाइल फोटो)।

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए सड़क चौड़ीकरण के लिए चल रहे ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि बगैर पूरी तरह से नियमों का पालन किए किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। राजस्थान उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए कोटपूतली नगर परिषद को कई निर्देश दिए हैं।

राजस्थान हाईकोर्ट ने कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नगर परिषद कोटपूतली को निर्देश देते हुए कहा कि वह सड़क चौड़ीकरण अभियान के तहत दुकानों- मकानों को ध्वस्त करने से पहले नियमों का शख्ती से पालन करे। कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई और प्रभावित पक्ष के खिलाफ बगैर उचित आदेश के कोई भी ध्वस्तीकरण नहीं किया जा सकता।

दरअसल, कोटपूतली नगर परिषद की कार्रवाई के खिलाफ करीब 80 लोगों ने मुकदमा दर्ज कराया था। इन लोगों का आरोप है कि बैकडेट की नोटिस के आधार पर नगर परिषद ने कार्रवाई की है। नोटिस स्वीकार नहीं करने पर दो ही व्यक्तियों को कई बार गवाह बनाया गया है।

कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस अनूप कुमार ढांड की पीठ ने 15 दिनों के भीतर एक समिति के गठन का निर्देश दिया है। यह समिति लोगों की आपत्तियों की समीक्षा करेगी और प्रत्येक मामले पर अलग-अलग निष्पक्ष रूप से निर्णय लेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि समिति के ऐसे निर्णयों के बाद किसी भी ध्वस्तीकरण कार्रवाई से पहले कम से कम 15 दिन का समय बीतना चाहिए।

जस्टिस अनूप कुमार की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान किसी भी पेड़ को हटाने से पहले परिषद उसका भी दस्तावेजीकरण करें। इसके अलावा हटाए गए पेड़ के बदले आसपास के किसी सार्वजनिक क्षेत्र में कम से कम 10 नए पौधे लगाए।

मास्टर प्लान लागू कर रहा नगर परिषद

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि प्रभावित सम्पत्तियों के वे वैध कब्जेदार हैं। उनके पास जमीन-मकानों से जुड़ी रजिस्ट्री और पट्टे मौजूद हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि बिना किसी उचित नोटिस या सुनवाई के नगर परिषद ने शहर के मास्टर प्लान को लागू करने के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी।

1 पेड़ काटने पर लगाने होंगे 10 पौधे

पीड़ितों ने आरोप लगाया कि उनको न्याय पाने का अवसर तक नहीं दिया गया, वहीं कोर्ट के यथास्थित के आदेशों के बावजूद ध्वस्तीकरण अभियान चलाया गया। दूसरी तरफ नगर परिषद के वकील ने कहा कि मास्टर प्लान 2011- 2031 को जनता की आपत्तियों पर विचार करने के बाद लागू किया गया था।

परिषद के वकील ने कहा कि सड़क चौड़करण के दौरान अधिग्रहित भूमि को नहीं छोड़ा जा सकता है। इसपर कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं के पास वैध मालिकाना हक है तो उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।

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