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राजस्थान का रण: अब तक 21 मुख्यमंत्री, लेकिन चार ने ही पूरा किया कार्यकाल

राजस्थान विधानसभा के अब तक हो चुके हैं 14 चुनाव, कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों ने चार बार और भाजपा के दो मुख्यमंत्रियों ने तीन बार पूरा किया है 5 साल का कार्यकाल

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jaipur

राजस्थान का रण: अब तक 21 मुख्यमंत्री, लेकिन चार ने ही पूरा किया कार्यकाल

जयपुर. राजस्थान विधानसभा के अब तक हुए 14 चुनावों में 21 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ हुई है, लेकिन एक मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पांच साल का कार्यकाल केवल सात बार ही पूरा हुआ है। कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों ने चार बार और भाजपा के दो मुख्यमंत्रियों ने तीन बार ऐसा किया है। पांच विधानसभाओं में दो बार तीन-तीन तो तीन बार दो-दो मुख्यमंत्री रहे हैं और यह सारे बदलाव कांग्रेस शासन के दौरान ही हुए हैं। कुल 11 लोगों के सिर ही 21 बार सीएम का सेहरा बंधा है।

पांच साल में 2 या 3 मुख्यमंत्री
टीकाराम पालीवाल, निरंजन व्यास व मोहनलाल सुखाडिय़ा: 1952-57 ( पहली विधानसभा)
मोहनलाल सुखाडिय़ा व बरकतुल्ला खान: 1967-72 ( चौथी विधानसभा)
बरकतुल्ला खान व हरिदेव जोशी: 1972-77 (पांचवीं विधानसभा)
जगन्नाथ पहाडिय़ा, शिवचरण माथुर व हीरालाल देवपुरा:1980-85 (सातवीं विधानसभा)
हरिदेव जोशी व शिवचरण माथुर:- 1985-90 (आठवीं विधानसभा)

कौन कितनी बार राज्य का मुखिया
मोहनलाल सुखाडिय़ा 04
भैरोंसिंह शेखावत 03
हरिदेव जोशी 02
शिव चरण माथुर 02
बरकतुल्ला खान 02
अशोक गहलोत 02
वसुंधरा राजे 02
निरंजन व्यास 01
टीकाराम पालीवाल 01
जगन्नाथ पहाडिय़ा 01
हीरालाल देवपुरा 01

पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले कांग्रेस के सीएम
मोहन लाल सुखाडिय़ा : 1957-62 तथा 1962-67 (दूसरी व तीसरी विधानसभा)
नोट - वह 1952-57 तथा 1967-72 (पहली व चौथी विधानसभा) में भी मुख्यमंत्री बने लेकिन कार्यकाल पूरा नहीं हुआ।
अशोक गहलोत : 1998-2003 तथा 2008-2013 (ग्याहरवीं व तेरहवीं विधानसभा )

पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले भाजपा के सीएम
भैरोंसिंह शेखावत : 1993-1998 दसवीं विधानसभा
वसुंधरा राजे: 2003-2008 तथा 2013-2018 (बारहवीं व चौदहवीं विधानसभा )

1951-52 चुनाव से आया वास्तविक लोकतंत्र
राज्य में 1951-52 में हुए आम चुनाव से वास्तविक लोकतंत्र ने जन्म लिया। तब राजतंत्र समाप्त हो गया था लेकिन पूर्व राजघराने चुनाव मैदान में कूद गए। जोधपुर के राजा रहे हनुमंत सिंह ने तो चुनाव में 'मं थांसू दूर कोनी, राज बदला पर रिश्ता नहींÓ जैसा भावुक नारा दे दिया। जनता ने उन्हें कांग्रेस के दिग्गज नेता जयनारायण व्यास के सामने जिता दिया। उनके कई समर्थक चुनाव जीते। तब से पूर्व राजघरानों को चुनाव में उतारने का सिलसिला बढ़ता गया। स्वतंत्र पार्टी, हिन्दू महासभा, जनसंघ, भाजपा और कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी उतारे।