scriptराजस्थान का रण : इस क्षेत्र में आज भी महिलाएं है काफी पीछे, हर दावे हो जाते हैं फेल | Rajasthan ka ran : is it women empowerment ? | Patrika News

राजस्थान का रण : इस क्षेत्र में आज भी महिलाएं है काफी पीछे, हर दावे हो जाते हैं फेल

locationजयपुरPublished: Sep 17, 2018 09:51:47 pm

https://www.patrika.com/rajasthan-news/

rajasthan ka ran

राजस्थान का रण : इस क्षेत्र में आज भी महिलाएं है काफी पीछे, हर दावे हो जाते हैं फेल

अनंत मिश्रा / जयपुर. पांच साल तक देश की तीनों सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल की पारी सफल रही। अपनी निर्णय क्षमता के लिए प्रख्यात पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 16 वर्षों तक देश की बागड़ोर संभाली। लेकिन सबके बावजूद गांधी, पाटिल के देश की राजनीति, महिलाओं के लिहाज से पिछड़ेपन की दीवार लांघ ही नहीं पा रही है।
मौजूदा हालात देखें तो देश की किसी भी विधानसभा में महिला प्रतिनिधित्व 14 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। लोकसभा में भी आधी दुनिया की आवाज उठाने वाली महिला सांसदों की संख्या महज 11 फीसदी है। 543 की क्षमता वाले सदन में आज सिर्फ 59 ही महिला सांसद हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस ‘पिछड़ेपनÓ के लिए वे राजनीतिक दल ही जिम्मेदार हैं, जो महिलाओं को आगे लाने के दावे तो बढ़ चढ़ तक करते हैं, लेकिन मौका जब टिकट देने का आता है तो चुप्पी साध लेते हैं। पत्रिका ने जब राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की विभिन्न पहलुओं पर पड़ताल की तो सामने आया कि पिछले विधानसभा चुनाव में इन राज्यों में किसी भी दल ने कुल सीटों की तुलना में 15 फीसदी टिकट भी महिलाओं को नहीं दिए। राज्यों के मंत्रिमंडल में भी महिलाओं को बहुत कम संख्या में मंत्री पद दिए गए हैं।
तीन राज्यों में 75 मंत्री, महिला सिर्फ 11
तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों समेत कुल 75 मंत्री हैं, जिनमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व महज 11 यानी 15 फीसदी से भी कम है। राजस्थान में 30 सदस्यीय मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री के अलावा किरण माहेश्वरी, कृष्णेन्द्र कौर ‘दीपा’ अनीता भदेल और श्रीमती कमसा महिला चेहरे हैं।मध्यप्रदेश में अर्चना चिटनिस, यशोधरा राजे, कुसुम मेहदले, माया सिंह और ललिता यादव तो छत्तीसगढ़ में एकमात्र रमशीला सिंह साहू रमण सिंह सरकार का महिला चेहरा हैं।
rajasthan ka ran
 

राजनीतिक दलों की महिलाओं को सत्ता और संगठन में और अधिक अवसर देने चाहिए। महिलाएं जब संगठन के काम में पीछे नहीं रहती तो उन्हें टिकट वितरण में पीछे क्यों रखा जाए?
स्नेहलता साबू, महामंत्री भाजपा महिला मोर्चा जयपुर
महिलाओं ने पंचायत राज व स्थानीय निकाय में नेतृत्व सिद्ध किया है। इसलिए राजनीतिक दल आगामी चुनावों में महिलाओं को अधिक से अधिक टिकट दें।
सोनाक्षी वशिष्ठ प्रवक्ता , राजस्थान प्रदेश महिला कांग्रेस

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो