दरअसल, दिल्ली में इस प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेता और पूर्व विधायक तरविंदर सिंह ने कहा था कि, ‘राहुल गांधी बाज आ जा, नहीं तो आने वाले टाइम में तेरा भी वही हाल होगा, जो तेरी दादी का हुआ।’
जेपी नड्डा की चुप्पी हैरान करने वाली- गहलोत
इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार सुबह अपने एक्स हैंडल पर लिखा है कि, ‘भाजपा द्वारा 15-20 सालों तक बदनाम करने के प्रयासों के बावजूद राहुल अब देश की आशा एवं अपेक्षा का केन्द्र बिन्दु बन गए हैं। इससे भाजपा इतनी हताश और आक्रामक हो गई है कि देश की राजधानी दिल्ली में भाजपा के नेता खुलेआम राहुल गांधी की हत्या करने की बातें कर रहे हैं। ऐसे बयानों पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की चुप्पी हैरान करने वाली है। यह दिखाता है कि अपनी सत्ता कायम रखने के लिए भाजपा किस हद तक जा सकती है।
‘राहुल गांधी की यात्रा से भाजपा बौखला गई’
अशोक गहलोत ने आगे कहा कि, ‘राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा की सफलता से भाजपा पूरी तरह बौखला गई है और इस यात्रा को लेकर देशभर में अफवाह फैलाने लग गई है। लोकसभा चुनावों में संविधान बदलने एवं आरक्षण हटाने के इरादे लेकर गई भाजपा को जनता ने अच्छा सबक सिखाया इसके बावजूद भाजपा आरक्षण पर झूठ बोलने से बाज नहीं आ रही है। राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा है कि समाज में समानता लाने के लिए आरक्षण जरूरी है एवं आवश्यकता के अनुरूप इसकी सीमा भी बढ़ानी चाहिए।’
इरादे को कभी पूरे नहीं होने देंगे- पूर्व सीएम
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने आगे लिखते हुए कहा कि, ‘राहुल गांधी देश में सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं जिसे वो अंजाम तक लेकर जाएंगे और भाजपा के आरक्षण से खिलवाड़ करने के इरादे को कभी पूरे नहीं होने देंगे। भाजपा देश को गुमराह करने का प्रयास अब बंद कर दे क्योंकि देश समझता है कि राहुल गांधी के द्वारा अमेरिका में बोले गए एक-एक शब्द का अर्थ क्या है और इसके पीछे राहुल की क्या भावना है।’
अमेरिका में राहुल गांधी ने क्या कहा था?
अमेरिका के वर्जीनिया के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा था कि, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कुछ धर्मों, भाषाओं और समुदायों को अन्य की तुलना में कमतर मानता है। भारत में राजनीति के लिए नहीं बल्कि इसी बात की लड़ाई लड़ी जा रही है।” इस दौरान राहुल गांधी ने दर्शक दिर्घा में बैठे एक सिख व्यक्ति से नाम पूछते हुए कहा कि, “लड़ाई इस बात की है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी या कड़ा पहनने का अधिकार है या नहीं, या एक सिख के रूप में वह गुरुद्वारा जा सकते हैं या नहीं, असल मायनों में लड़ाई इसी को लेकर है और सिर्फ इनके लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है।”