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पीठाधीश्वर राघवाचार्य ने राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी बड़ी भूमिका, जानें उनसे जुड़ी कई रोचक बातें

Rajasthan News: राम जन्मभूमि आंदोलन में महंत राघवाचार्य महाराज का योगदान अविस्मरणीय है। 1984 से इस आंदोलन से जुड़े महाराज ने अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना कई सभाएं कीं।

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Raghavacharya Maharaj

RAGHWACHARYA JI MAHARAJ: जयपुर। सीकर के रैवासा धाम के पीठाधीश्वर महंत राघवाचार्य महाराज का शुक्रवार को सुबह अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। रैवासा में ही आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। लाखों अनुयायियों के प्रिय, महाराज को सुबह बाथरूम में दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें सीकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

500 साल पुराने जानकीनाथ मंदिर के थे पीठाधीश्वर

महंत राघवाचार्य महाराज सीकर के रैवासा स्थित ऐतिहासिक जानकीनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर थे। यह मंदिर 1570 में स्थापित हुआ था और इसे वैष्णव संप्रदाय की प्राचीनतम पीठों में से एक माना जाता है। महाराज के नेतृत्व में इस पीठ से मधुर उपासन और कई धार्मिक गतिविधियों का प्रसार हुआ।

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राम जन्मभूमि आंदोलन के ध्रुव तारे

राम जन्मभूमि आंदोलन में महंत राघवाचार्य महाराज का योगदान अविस्मरणीय है। 1984 से इस आंदोलन से जुड़े महाराज ने अपने स्वास्थ्य की परवाह किए बिना कई सभाएं कीं। उनका मानना था कि अयोध्या के मुसलमान भी मंदिर निर्माण का समर्थन करते थे। उन्होंने कहा था, "अयोध्या के मुसलमानों ने मुझे कहा था, 'महाराज, हमारे देश की गंगा-जमुनी तहजीब का सम्मान करो और मंदिर बनाओ।'"

1992 की कार सेवा: जब धैर्य टूटा और इतिहास बना

1992 में अयोध्या में हुए घटनाक्रम का जिक्र करते हुए महाराज ने बताया था कि लाखों राम भक्तों का धैर्य टूट गया था। "आपने कहा था कि चाहे खून बह जाए, ढांचा इस बार नहीं रहेगा," इस भावना ने भक्तों को गुंबद तोड़ने के लिए प्रेरित किया। महाराज ने बताया था कि बीजेपी और आरएसएस के पदाधिकारी कानून नहीं तोड़ना चाहते थे, लेकिन भक्तों के जोश के आगे सब्र टूट गया।

नरसिंहा राव की सरकार ने भी की थी मदद

महंत राघवाचार्य महाराज ने खुलासा किया था कि कारसेवा के दौरान नरसिंहा राव सरकार ने भी अप्रत्याशित रूप से कारसेवकों की मदद की। शाम को रामलला की स्थापना के बाद कर्फ्यू घोषित कर दिया गया था। जयपुर लौटते वक्त महाराज की ट्रेन पर पत्थरबाजी भी हुई, लेकिन भक्तों का हौसला बुलंद रहा।