मूल रूप से चित्तौड़ जिले के रहने वाले कन्हैयाल लाल का दूसरा नाम कांजी खटीक भी है। वे पेशे से फल विक्रेता हैं। काफी समय पहले ठेला लगाकार फल बेचते थे और अब कारोबार को बढ़ा लिया है। कांजी का कहना था कि उन्होनें बप्पी लहरी को देखकर सोना पहनने की इच्छा अपने दोस्त को जताई और उसके बाद धीरे-धीरे जुगाड़ कर करीब दस तोला सोना पहना। उसके बाद ये पीली धातु इतनी पसंद आई कि अब इसे बढ़ाकर करीब तीन किलो कर दिया। वे हर रोज करीब तीन किलो सोना पहनते हैं। इसके अलावा भी उनके पास सोने के जेवर हैं। सोना पहनने में उनकी पत्नी भी कम नहीं है।
कांजी का कहना है कि जब से बेटी का जन्म हुआ है मानों किस्मत पूरी तरह से बदल गई। सोने के जेवर करीब बीस साल से बनवा रहे हैं। अब खटीक समाज के चुनाव में खड़े हो रहे हैं। सोने से जुड़ी कहानी के बारे में कहना है कि एक दोस्त ने कुछ दिन के लिए दस तोला की गोल्ड चेन दी थी, वो बाहर जा रहा था। उसे पहनकर लगा कि अब अपने लिए भी सोना खरीदना है। यह सिलसिला अब तक जारी है।