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सावधान : अगर आप ने भी इन दिनों लिया है मोबाइल सिमकार्ड, तो आप पड़ सकते है खतरें में!

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जयपुर

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rohit sharma

Aug 05, 2018

sim card

sim card

जयपुर ।

साइबर थाना पुलिस ने ठगी मामले में मोबाइल सिम वितरकों की बड़ी जालसाजी का खुलासा किया है। आप जहां थम्ब इंप्रेशन से सिम खरीद रहे हैं, वहां आपके नाम से कई सिम जारी कर उसे अपराध की दुनिया में 100 से 500 रुपए में बेचा जा रहा है। सोशल साइट से ये सिम एक से दूसरे शहर तक पहुंच रही हैं और जालसाज इनके माध्यम से ठगी के शिकार तलाश रहे हैं। ठगी के एक मामले में गिरफ्तार 2 आरोपियों से 32 मोबाइल सिम मिली हैं जो किसी और के नाम से वैध तरीके से खरीदी गई हैं।

एक फाइनेंस कम्पनी की वैबसाइट हैक कर एचपी कम्पनी में 130 लैपटॉप ऑर्डर करने के इस मामले में साइबर थाना पुलिस ने नीमकाथाना स्थित गोडावास निवासी सचिन चाहर व बेर के महमदपुर निवासी रविकुमार जाटव को गिरफ्तार किया था। दोनों को रविवार को ही अदालत में पेश कर जेल भेजा गया है। मास्टर माइंड सचिन ठगी के लिए 4 सिम वाला मोबाइल काम में लेता था। उसके पास 4 मोबाइल मिले हैं, जिनमें 16 सिम एक्टिवेट थीं। ये मोबाइल व सभी सिम वह जालसाजी के काम लेता था ताकि पुलिस से बचा रहें। निजी उपयोग के लिए 2 मोबाइल अलग रखता था, जिसमें स्वयं के नाम से जारी सिम थी।


थम्ब इंप्रेशन देते समय बरतें सावधानी

सचिन ये सिम फेसबुक पर ट्रिक्स के रूप में बने ग्रुप के माध्यम से हथियाता था। वहां सिम की डिमांड रखते ही कई लोग सिम उपलब्ध कराने के तैयार रहते हैं। पहले ऑनलाइन पैमेंट करता और फिर कूरियर से सिम अपने पास मंगवा लेता था। पुलिस पड़ताल में सामने आया कि सिम विक्रेता ग्राहक से एक बार से अधिक थम्ब इंप्रेशन लेकर एक से अधिक सिम अलॉट करता है। ग्राहक को सिम देने के बाद उसके नाम से जारी अन्य सिम सोशल साइट या सीधे आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को बेचता है। अब पुलिस सिम विक्रेताओं की तलाश के साथ मोबाइल नेटवर्क से जुड़ी कम्पनियों को सावचेत कर रही है।


दसवीं-बारहवीं के छात्रों ने ठगा मल्टीनेशनल कम्पनी को

ऑनलाइन ठगी का मास्टर माइंड सचिन बारहवीं कक्षा में एक बार फेल हो चुका है। फेसबुक से उसका दोस्त बना रविकुमार दसवींं तक ही पढ़ा है। पुलिस ने बताया कि सचिन एक कोचिंग सेंटर से कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी लेने के बाद लैपटॉप लेकर ठगी में सक्रिय हुआ। वह दिखावे के लिए ऑनलाइन विज्ञापन का काम करता था। इस दौरान उसने जालसाजी की बड़ी साजिश रची। यू-ट्यूब पर रुपए दिए बिना ही डीटीएच रिचार्ज कराने की ट्रिक देखी और इसी ट्रिक से एचपी कम्पनी को 130 लैपटॉप का ऑर्डर दे दिया। ऑनलाइन कम्पनी के खाते में भुगतान दिखा दिया जबकि रुपए खाते में जमा ही नहीं हुए थे। करीब 30 मोबाइल डिलीवर होने के बाद फर्जीवाड़े का पता चला।


सिम, पता, आइपी एड्रेस फर्जी फिर भी पकड़ा गया

पुलिस से बचते हुए ऑनलाइन ऑर्डर देने के लिए सबसे पहले कम्प्यूटर का फर्जी आइपी एड्रेस जनरेट किया। इसके बाद ऑर्डर पर जो मोबाइल नम्बर दिए उसके लिए फर्जी सिम हथियाई। लैपटॉप लेने के लिए फर्जी पते लिखवाए। कूरियर वालों को पता नहीं मिलने पर वे आरोपियों को कॉल करते, जिसके बाद आरोपी खुद ही कूरियर वालों के पास पहुंचकर लैपटॉप प्राप्त कर रहे थे। आरोपियों ने ऑनलाइन फ्रेंड्स को लैपटॉप बेचने शुरू कर दिए थे। हालांकि यह चतुराई काम नहीं आई और पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर सभी 26 लैपटॉप बरामद कर लिए हैं।