
जयपुर/पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क। Rajasthan Politics: प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने में ढाई से तीन माह ही बचे हैं। चुनाव को देखते हुए कांग्रेस लगातार समितियों की घोषणा कर रही है, लेकिन भाजपा अपनी गुटबाजी में ही उलझी हुई है। पार्टी आलाकमान प्रदेश के कुछ बड़े नेताओं की जिम्मेदारियां ही तय नहीं कर पा रहा है। इस वजह से चुनाव समिति, चुनाव प्रबंधन समिति, चुनाव प्रचार-प्रसार समिति सहित अन्य समितियां पेंडिंग ही चल रही हैं। भाजपा नेता और कार्यकर्ता भी इसी पशोपेश में है कि आखिर कब आलाकमान आगे की राह तय करेगा और किस तरह से चुनाव लड़ा जाएगा।
पिछले माह के अंत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री व प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कोर कमेटी की मीटिंग में ये कहा था कि सभी नेता चुनाव में जुट जाएं। समितियों की घोषणा एक-दो दिन में हो जाएगी। इसके बाद यह माना जा रहा था कि नेताओं के निर्देश के तहत दो या तीन अगस्त तक समितियों की घोषणा हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बैठक को दस दिन हो चुके हैं, लेकिन कोई समितियां नहीं बन सकी हैं। बताया जा रहा है कि आलाकमान संसद की कार्यवाही में उलझा हुआ है। इस वजह से राजस्थान के मुद्दों को लेकर पार्टी कुछ भी तय नहीं कर पा रही है।
दलित वोट बैंक पर भी भाजपा की नजर
भाजपा दलित वोट बैंक को लेकर भी चिंतन कर रही है। बताया जा रहा है पार्टी और आरएसएस का यह मानना है कि प्रदेश में किसी दलित नेता को भी बड़ी जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। दलित नेताओं में अर्जुन राम मेघवाल और किरोड़ी लाल मीणा का नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में हैं, जिनमें से किसी एक को पार्टी किसी एक समिति का प्रमुख बना सकती है।
Published on:
08 Aug 2023 12:15 pm
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