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Air Pollution : Rajasthan में pollution के राज दबा रही Sarkaar, जानिए ऐसा क्यों हो रहा

- राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (Rajasthan Pollution Control Board) का राजवायु एप (Rajvayu App) 4 महीनों से बंद- औद्योगिक प्रदूषण (Industrial Polluion) की जानकारी देने वाले दृष्टि एप पर पब्लिक (Public Access) को नो एक्सेस

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जयपुर

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Pawan kumar

Oct 29, 2019

Air pollution rising in Singrauli, power companies are not installing FGD

Air pollution rising in Singrauli, power companies are not installing FGD

जयपुर। दीपावली की रात (Deepawali Night) गुलाबी नगर जयपुर (Pnkcity Jaipur) में वायु प्रदूषण का स्तर 8 गुना तक बढ़ गया। लेकिन राज्य सरकार गहरी नींद में सो रही है। जयपुर समेत प्रदेश के 8 शहरों में प्रदूषण का स्तर बताने वाला राजवायु एप 4 महीनों से बंद पड़ा है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने राजवायु एप में आई तकनीकी खामी को दूर करने की जहमत नहीं उठाई है। इसके कारण लोगों को पता नहीं चल पा रहा है कि जयपुर समेत दूसरे शहरों में प्रदूषण का स्तर कितना है और पॉल्यूशन ज्यादा होने पर क्या सावधानी बरतें।
Online डेटा हुआ बंद
प्रदेश के 8 प्रमुख शहरों में प्रदूषण की स्थिति को जानने के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने राजवायु एप लॉन्च किया था। जबकि औद्योगिक इकाइयों के लिए दृष्टि एप लॉन्च किया गया था। राज्य के शहरों में 24 घंटे प्रदूषण की स्थिति का पता लगाने के लिए राजवायु एप को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सिस्टम से online जोड़ा गया था। ताकि शहरों में प्रदूषण के स्तर का पता चलते रहे और लोग सावधानी रख सके। जबकि दृष्टि एप प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषण बताने के लिए लॉन्च हुआ था। राज्य की औद्योगिक इकाइयों को इस एप के साथ जोड़ा गया था। लेकिन दोनों ही एप कई महीनों से बंद पड़े हैं और स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं।

एप से जुड़े हैं ये शहर
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के राजवायु एप से राजधानी जयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, उदयपुर, पाली, भिवाड़ी और अलवर को जोड़ा गया था। इन शहरों में नई तकनीक वाले पॉल्यूशन मीटर लगाकर उन्हें केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल (सीपीसीबी) के सर्वर से कनेक्ट किया गया था। सीपीसीबी के सर्वर से राजवायु एप पर इन 8 शहरों में प्रदूषण की स्थिति का 24 घंटे लगातार पता चलता रहता है। लेकिन एप बंद होने से अब ये पता नहीं चल पा रहा कि प्रदेश के किस शहर में कितना प्रदूषण है।

अति खतरनाक स्तर तक पहुंचा था प्रदूषण
दीवाली की रात 12 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स का आंकड़ा 880 के स्तर पर पहुंच गया। जबकि एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर का आंकड़ा 100 होना चाहिए। दीपावली की रात 7 बजे से 12 बजे तक एक्यूआइ का स्तर 100 से बढ़कर 880 हो गया। यानी कि पटाखे चलाने के 5 घंटे के दौरान जयपुर की हवा में बारूद का जहर 8 गुना बढ़ गया। राजस्थान में जयपुर, भिवाड़ी, पाली और जोधपुर ऐसे शहर हैं, जहां पर प्रदूषण का स्तर अक्सर 300 एक्यूआइ के स्तर को पार कर जाता है। हवा में प्रति घनमीटर जब 2.5 साइज के पार्टिकुलेट मैटर्स की संख्या 300 के स्तर को पार कर जाती है तो उसे खतरनाक श्रेणी में माना जाता है। जबकि भिवाड़ी में तो कई बार ऐसे मौके आए हैं जब एक्यूआई का स्तर 426 तक पहुंच चुका है। इस दीपावली जयपुर में एक्यूआइ का कंस्ट्रेशन लेवल 880 तक पहुंच गया। जब प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है तो श्वास रोग से पीड़ित लोगों और बच्चों को सावधानी बरतनी होती है, राजवायु एप पर सावधानियों के बारे में जानकारी उपलब्ध रहती थी। अब एप पर प्रदूषण के स्तर का ही पता नहीं चल पा रहा तो लोग सावधानी कैसे बरतें।

दृष्टि एप पर नो एक्सेस
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के दृष्टि एप को प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों के साथ जोड़ा गया है। जिससे औद्योगिक इकाइयों के धुएं से होने वाले वायु प्रदूषण और फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल से जल एवं जमीन प्रदूषण के बारे में 24 घंटे आॅनलाइन जानकारी मिल सके। दृष्टि एप के जरिए औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण की मॉनिटरिंग की जाती है। लेकिन इस पर डेटा देखने का एक्सेस या लॉगिन राइट सिर्फ प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों—कर्मचारियों को ही दिया गया। लोग दृष्टि एप पर औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण के बारे में जानकारी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। किस औद्योगिक इकाई में कितना प्रदूषण हो रहा है, ये सिर्फ प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों—कर्मचारियों को ही पता है। ऐसे में औद्योगिक ईकाईयों में प्रदूषण की स्थिति को छिपाई जा रही है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को डर है कि यदि औद्योगिक प्रदूषण का सार्वजनिक कर दिया गया तो लोगों को असलियत पता चल जाएगी।