
Jaipur Tanker Blast : जयपुर के अजमेर रोड पर भांकरोटा के पास हुए अग्निकांड ने न सिर्फ यात्रियों को मौत के मुंह में धकेल दिया, बल्कि इसके बाद सड़क पर दौड़ रही निजी और सरकारी बसों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। हादसे के बाद यह साफ हो गया कि इन बसों की बॉडी और संरचना नियमों के खिलाफ बनाई गई है, जिनमें इमरजेंसी गेट से लेकर फिटनेस प्रमाणपत्र तक में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
अफरा-तफरी में कूदने को मजबूर हुए यात्री और उनका संघर्ष, यह बता रहे हैं कि जब तक इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक जान हमेशा खतरे में रहेगी। भांकरोटा अग्निकांड के दौरान स्लीपर कोच बस में आग लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई थी। बस में एक ही गेट था, जिससे बाहर निकलने के लिए यात्री मशक्कत कर रहे थे। इस बस के इमरजेंसी गेट को बंद कर वहां सीट लगा रखी थी। शहर में दौड़ रही अधिकतर निजी और कुछ सरकारी बसों का यही हाल है।
ऐसी बसों का संचालन चोरी-छिपे नहीं हो रहा है, बल्कि शहर के प्रमुख स्थानों जैसे सिंधी कैंप और नारायण सिंह सर्कल से होकर ये बसें नियमित रूप से चल रही हैं। इसके बावजूद, जिम्मेदार विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। राजस्थान पत्रिका ने रविवार को शहर में निजी और सरकारी बसों की पड़ताल की, तो लापरवाही और नियमों की अनदेखी सामने आई।
पत्रिका की पड़ताल में यह सामने आया कि जयपुर से संचालित होने वाली या दूसरे शहरों से जयपुर आने वाली अधिकतर बसों में इमरजेंसी गेट तो है, लेकिन इस गेट को सीटों से बंद कर रखा गया है। जबकि नियमों के मुताबिक इमरजेंसी गेट के सामने आने-जाने के लिए जगह छोड़नी चाहिए। कंपनियां बॉडी आने के बाद अपनी मर्जी से सीटों की संख्या बढ़ा रही हैं, लेकिन परिवहन विभाग के उड़नदस्तों की ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
नियमों के विपरीत रजिस्ट्रेशन कैसे हुआ?
बस संचालकों द्वारा की जा रही लापरवाही में संबंधित आरटीओ भी पूरी तरह जिम्मेदार है। नियमों की अनदेखी के बावजूद, आरटीओ में इन बसों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है और इन्हें सड़क पर चलने की अनुमति दी जा रही है। इतना ही नहीं, इन बसों को फिटनेस प्रमाणपत्र भी जारी किए जा रहे हैं। पुरानी बसें बिना किसी रोक-टोक के फिटनेस सेंटर्स से फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त कर रही हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा खतरा है।
बसों की बॉडी का क्या है नियम?
परिवहन निरीक्षक यशपाल शर्मा के अनुसार, केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के नियम 125 सी के उप-नियम 5 के अनुसार स्लीपर कोच की बॉडी को एआइएस 119 और पूर्णत: निर्मित बसों के लिए उप-नियम 7(ए) व 7(बी) के तहत एआइएस 153 के अनुरूप बॉडी निर्माण और अनुमोदन जरूरी है। सभी बसों के लिए इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है। जबकि जयपुर में चलने वाली अधिकतर बसें इनका पालन नहीं कर रही हैं।
ऑपरेशन कवच अभियान के तहत नियमों का उल्लंघन करने वाली ऐसी ही बसों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। यह अभियान जारी रहेगा। आगे भी नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विनोद सैनी, डीटीओ प्रवर्तन आरटीओ प्रथम
Published on:
23 Dec 2024 01:14 pm
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