
राजस्थान का दुर्भाग्य, पहले थीम लीक हुई फिर बजट, सब कपोल कल्पित,राजस्थान का दुर्भाग्य, पहले थीम लीक हुई फिर बजट, सब कपोल कल्पित,राजस्थान का दुर्भाग्य, पहले थीम लीक हुई फिर बजट, सब कपोल कल्पित
जयपुर. विधानसभा में बजट प्रस्तुत करने के बाद मुख्यमंत्री की मीडिया से मुलाकात के बाद भारतीय जनता पार्टी ने बजट पर प्रतिक्रिया के साथ ही सरकार और मुख्यमंत्री पर हमला किया। सदन में भाजपा विधायक दल कक्ष में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़ और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बजट पर सरकार और मुख्यमंत्री को घेरा। भाजपा ने इसे कपोल कल्पित बजट बताते हुए सिर्फ आंकड़ों का खेल बताया।
इतिहास में पहली बार: कटारिया
नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि यह राजस्थान का दुर्भाग्य है कि इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने पुराना बजट वाचन करना शुरू कर दिया। उसपर पहले से ही माहौल बनाने के लिए 14 हजार जगहों पर छात्रों को एकत्र कर स्क्रीन लगाई गई। कटारिया ने कहा कि राज्य के विद्यार्थियों ने भी सदन की कार्रवाई देखकर माथा पकड़ लिया होगा। इसमें भी आश्चर्य की बात है कि मुख्यमंत्री पुराना बजट पढ़ते गए। उनको याद भी ऊपर से दिलाया गया। मुख्य सचेतक ने दो बार उनके कान में कहा, अधिकारियों ने संदेश भिजवाए, खुद उन्होंने और राठौड़ ने टोका तब ध्यान आया कि बड़ी गड़बड़ की गई है।
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बजट की पवित्रता भंग: राठौड़
उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि बजट की पवित्रता भंग की गई। दो दिन में 130 करोड़ रुपए खर्च करके बजट के विज्ञापन लगाए गए। पवित्रता राहुल गांधी के सामने ही भंग कर दी थी, जब सिलेंडर सस्ता करने की घोषणा की गई। यह बजट लीक है, संविधान के अनुसार इसे पढ़ नहीं सकते। किसानों को फ्री बिजली का दावा किया गया है। जब बिजली आती ही नहीं है तो फ्री कैसे देंगे? उन्होंने इसे आंकड़ों का खेल बताया। कर्ज का आंकड़ा 5.80 लाख करोड़ रुपए हो गया। बजट की घोषणाओं के माध्यम से चुनाव की वैतरणी पार करने का प्रयास किया जा रहा है। कुल बजट कपोल कल्पित भावनाओं पर है। खोदा पहाड़ और निकली मरी हुई चुहिया।
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बजट ऐसा जैसे उधार लेकर घी पीयो : पूनिया
प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि राज्य में अभी तो पेपर ही लीक होते थे, अब बजट ही लीक हो गया। वह भी खुद मुख्यमंत्री ने लीक कर दिया। 14 हजार स्थानों पर बच्चों ने लाइव देखा कि बजट कैसे लीक होता है। यह बजट ऐसे ही है, जैसे उधार लेकर घी पीयो। कर्जे करते जाओ और रेवड़ी बांटते जाओ। गहलोत जादूगर हैं, जादू से पुराने बजट को पढ़ने लगे। किसानों के कर्ज का क्या हुआ? कर्जा माफी पर कोई रोडमैप नहीं है। सबसे बड़ा मुद्दा कानून व्यवस्था का है। बजट में इसके लिए कोई चर्चा तक नहीं की गई। केवल वोट के लिए घोषणाएं की गई हैं। राजस्थान का युवा, महिला, दलित, वंचित इनकी हकीकत समझ चुका है। बजट से इनकी सच्चाई खुलकर सामने आई है। महात्मा गांधी सेवा प्रेरक भर्ती, सिर्फ राजनीतिक भर्ती होगी।
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बजट में विकास का विजन नहीं, चुनाव का सीजन दिखाई देता है: राजे
जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो बजट प्रस्तुत किया है, उसमें लोकनीति का अभाव और राजनीति का प्रभाव है। इसमें विकास का विजन नहीं, चुनाव का सीजन दिखाई देता है। चुनाव के रंग से रंगा यह बजट आम लोगों के लिए फीका ही है। उन्होंने कहा है कि बजट में युवाओं को भ्रमित करने का प्रयास किया गया है। उन किसानों को कृषि बजट के नाम से छलने की कोशिश की गई है, जिन किसानों के मन में 2 लाख तक का कर्जा माफ करने का वादा पूरा नहीं करने की कसक है। बजट में सिर्फ युवाओं और किसानों को ही नहीं, महिलाओं सहित हर वर्ग को मृग मरीचिका दिखाने की कोशिश है।
राजे ने कहा कि पिछले बजट की 1029 घोषणाओं में से 350 ही जमीन पर आई है। ऐसे में इस बजट की घोषणाओं का भी वही हश्र होने वाला है। साथ ही 2019 में जो कर्ज राजस्थान के हर व्यक्ति पर 36 हजार 782 था, वह इस सरकार के कार्यकाल में 86 हजार 439 हो जाएगा।
राजस्थान के पहले बजट से लेकर मार्च 2019 तक प्रदेश पर कुल कर्ज 3 लाख करोड़ था, जो इस सरकार के कार्यकाल में बढ़कर 7 लाख करोड़ से अधिक हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने राज्य को कंगाली के कगार पर खड़ा कर दिया है।
Published on:
11 Feb 2023 06:08 pm
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