
जैसलमेर का कुलधरा गांव, जहां वर्तमान में एक भी व्यक्ति नहीं रहता। हालांकि इस गांव को देखने के लिए हर साल देश-विदेश से लगभग 75 हजार पर्यटक आते हैं। इस गांव की कहानी बेहद दिलचस्प है। वर्ष 1825 में यह गांव उजड़ गया था। पाली से विस्थापित होकर आए पालीवाल परिवारों ने 14वीं सदी के प्रारंभ में यह अकल्पनीय गांव बसाया। पालीवाल समाज के लोग समृद्ध किसान और व्यापारी थे।
उन्होंने जैसलमेर शहर से 18 किमी दूर कुलधरा गांव सहित इस इलाके में 84 गांवों की बसावट की। कुलधरा में तब आबादी करीब 500 थी। यह गांव रेगिस्तान में बसा है, इसलिए गर्मी और लू से बचाव के लिए यहां मकानों के बीच में गलियां इस तरह हैं कि हवा छनकर प्रवेश करे और घरों के भीतर ठंडक हो। हवाओं के वेग के हिसाब से पूरे गांव की बसावट को तय किया गया।
84 गांव एक रात में वीरान
जैसलमेर में ऐसे 84 गांव बसे थे, जो 45 किलोमीटर के दायरे मेें हैं। हर गांव में तालाब व बावड़ियां बनाए थे ताकि बारह महीने पानी की कमी नहीं रहे। पालीवाल ब्राह्मण एक घटना के बाद एक साथ यह गांव छोड़कर जैसलमेर से चले गए। जैसलमेर में 50 से अधिक बॉलीवुड की फिल्में बनी हैं, इसमें से कुलधरा की लोकेशन से भी कई फिल्मों में दृश्य लिए गए हैं।
अकल्पनीय बसावट
84 गांवों की खासियत थी कि पानी का प्रबंध जहां मिला वहां गांव बसाए गए। सभी गांव 45 किमी के दायरे में थे और कुलधरा इनमें विशेष था। 14 वीं सदी में पक्के मकानों की यह बसावट अकल्पनीय है। यही कुलधरा की खासियत है। -ऋषिदत्त पालीवाल, इतिहासकार
Published on:
24 May 2022 10:22 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
