जयपुर। पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और जेडीए के तीन पूर्व अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने हाईकोर्ट के उन आदेशों को रद्द कर दिया है, जिसमें एकल पट्टा मामले में आपराधिक कार्यवाही खत्म कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मामले की दोबारा सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट 6 महीने में मामले की दोबारा सुनवाई करे और अपना फैसला दे।
करीब 10 साल पुराने जयपुर के चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल व अन्य तत्कालीन अधिकारियों पर लगे आरोपों को लेकर भजनलाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना स्टैंड बदल दिया है। शपथ पत्र में करीब 6 महीने पहले सरकार ने सभी को क्लीन चिट दी थी, लेकिन अब नया शपथ पत्र पेश कर कहा है कि सभी के खिलाफ मामला बनता है।
सरकार ने नए शपथ पत्र में सुप्रीम कोर्ट से एसीबी की ओर से केस वापस लेने के फैसले को सही ठहराने और धारीवाल को राहत देने वाले हाईकोर्ट आदेश को रद्द करने का आग्रह किया। अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिवमंगल शर्मा ने बताया कि अप्रैल 2024 में बिना विधिक सलाह लिए अधिकारियों ने अपने स्तर पर शपथ पत्र पेश किया, सरकार ने केस के प्रभारी अधिकारी को बदल दिया।
एएजी शर्मा ने कहा कि एसीबी ने धारीवाल व अन्य से प्रभावित होकर 3 क्लोजर रिपोर्ट पेश की। इसी कारण एसीबी कोर्ट ने दो क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और तीसरी पर कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं लिया। इसी बीच आरोपी हाईकोर्ट चले गए, 17 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने केस वापस लेने के राज्य सरकार का निर्णय सही मान लिया। शर्मा ने मामला पुनः ट्रायल कोर्ट भेजने का आग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि 29 जून 2011 को जेडीए ने गणपति कंस्ट्रक्शन के शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया। इसकी 2013 में रामशरण सिंह ने एसीबी को शिकायत की। इसके बाद पट्टा निरस्त हो गया, लेकिन तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, आरएएस अधिकारी निष्काम दिवाकर, जौन उपायुक्त ओंकारमल सैनी व अन्य की गिरफ्तारी हुई। एसीबी ने धारीवाल से भी पूछताछ की। रामशरण सिंह की मृत्यु के बाव उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने केस वापस लेने की सहमति दी।
Updated on:
05 Nov 2024 04:56 pm
Published on:
05 Nov 2024 04:54 pm