ईआरसीपी को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच समझौता हो चुका है। मगर अब भी कई राज्यों के साथ राजस्थान का जल विवाद चल रहा है। इन्हीं में से एक हैं हरियाणा से चल रहा यमुना जल विवाद। अब इस विवाद को भी सुलझाने की मांग उठने लगी है।
यमुना जल हमारा हक आन्दोलन समिति शेखावाटी के संयोजक सहीराम चौधरी ने बताया कि वर्ष 1994 में केन्द्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश,आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के बीच यमुनाजल के बंटवारे को लेकर एक समझौता करवाया था। राजस्थान के अलावा अन्य चार राज्यों में अपने हक़ का पानी ले लिया है, लेकिन ताजेवाला हैड से (हरियाणा) से झुंझुनूं की सीमा पर आने वाले पानी का हिस्सा हमें आज तक नहीं मिला है। यह प्रोजेक्ट शेखावाटी के सीकर, झुंझुनूं और चूरू के लिए बना है। इन जिलों में पानी के हाल खराब है। दो साल बाद कृषि तो दूर, पीने का पानी भी हमें नहीं मिलेगा। इसके चलते शेखावाटी के लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
चौधरी ने कहा कि हमने यमुना जल हमारा हक आन्दोलन समिति बनाकर एक जन आंदोलन 15 महीने से चला रखा है। यह आंदोलन उग्र रूप लेने जा रहा है। हमने राज्य व केंद्र सरकार को उस स्थिति से अवगत करवा दिया है, यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन होगा।