
Rajasthan: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बाद अब पीएम केयर्स फंड को लेकर भी राजस्थान सरकार का केन्द्र सरकार से टकराव खत्म हो गया है। राजस्थान ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के समय सीएए और पीएम केयर्स फंड को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दावा पेश किया था, जिनमें से भजनलाल सरकार सीएए को लेकर दावा पहले ही वापस ले चुकी और अब पीएम केयर्स फंड से संबंधित दावा भी वापस ले लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों प्रकरणों को समाप्त कर दिया। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पीएम केयर्स फंड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहले ही तय कर चुका, इसलिए अब राज्य सरकार की ओर से पेश यह दावा औचित्यहीन हो गया है। उन्होंने इस दावे को वापस लेने की अनुमति चाही, जो सुप्रीम कोर्ट ने दे दी।
यह था विवाद
2020 में तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से जारी विशिष्ट अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी। इनमें से कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से 28 मार्च 2020 को जारी अधिसूचना में कहा था कि पीएम केयर्स फंड में दिए गए योगदान को सीएसआर (औद्योगिक-सामाजिक दायित्व) खर्च के रूप में माना जाएगा। इसमें यह स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री राहत कोष या किसी भी राज्य राहत कोष में कोविड़-19 को लेकर दिया गया योगदान सीएसआर खर्च के रूप में नहीं माना जाएगा। राज्यों के संबंध में लगाई गई इस पाबंदी को राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अब वापस ले लिया है।
Published on:
24 Apr 2024 08:00 am
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