
जयपुर . पूर्व मंत्री रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेन्द्र मिर्धा अपहरण मामले में गुरूवार को 22 साल बाद शहर की अधिनस्थ अदालत ने आरोपित हरनेक सिंह को तीनों मामलों में दोषी माना है। अपहरण करने, पुलिस से मुठभेड़ करने और हथियारों का जखीरा रखने के तीनों मामलों में दोषी मानते शुक्रवार को फैसला सुनाएगी। 17 फरवरी 1995 में खालिस्तान समर्थक दया सिंह, हरनेक सिंह, नवनीत कांदिया और सुमन सूद ने मिर्धा अपहरण को अंजाम दिया था।
अभियोजऩ की तरफ से पैरवी करने वाले अधिवक्ता पण्डित राजेन्द्र डांगरवाड़ा ने बताया कि पुलिस ने जिन धाराओं में हरनेक सिंह पर मामला दर्ज किया था। उन सभी मामलों में आज अदालत ने उसे दोषी ठहराया है। इसमें अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है। मालवीय नगर में मॉडल टॉउन बी ब्लॉक के मकान नम्बर-117 पर छापा मारा। पुलिस और आतंकवादी मुठभेड़ में पुलिस ने एक आतंकी नवनीत कांदिया को मार गिराया।
यह था मामला
आरोपितों ने खालिस्तान लिब्रेशन फ्रंट के चीफ देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर को छुड़वाने के लिए राजेन्द्र मिर्धा का 17 फरवरी 1995 मे अपहरण किया था। इस पुलिस ने 26 फरवरी 1995 को मालवीय नगर मॉड़ल टाउन में छापा मारकर मिर्धा को छुड़ाया। कार्रवाई के दौरान पुलिस की गोली लगने से नवनीत कादिया की मौत हो गई। दयासिंह, हरनेक सिंह व सुमन सूद मौके से फरार हो गए थे, बाद में इनको 3 जनवरी 1997 में अमेरिका से प्रत्र्यपण संधि के भारत लाया गया। 20 अक्टूबर 2004 में दयासिंह को उम्रकैद व सुमन को 5 साल की सज़ा हुई। हरनेक को पंजाब पुलिस ने 2004 में गिरफ्तार किया।
जब्त सामान को लेकर भी रहा विवाद
पुलिस ने वैशाली नगर स्थित बी-ब्लॉक मकान नम्बर 83 से भारी मात्रा में घातक असलाह जब्त किया था। कांता शर्मा के उक्त मकान में हरनेक सिंह किराये से स्वयं को सुरेन्द्र कुमार वर्मा उर्फ छोटू के नाम से जिम चलाता था। पुलिस ने 12.810 किलोग्राम काला-सफेद घातक विस्फोटक, 23 किलोग्राम आरडीएक्स, ए के-56 राईफल, 3 मैंगजीनए रिमोट कन्ट्रोंल डिवाईस सहित अन्य अतिसंवेदनशील जनहानिकारक सामान जब्त किए थे। लेकिन जब्ती के बाद माल खाने में जमा नहीं होने को लेकर विवाद रहा।
Published on:
05 Oct 2017 08:43 pm
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