
Ram Mandir जयपुर से कारसेवा में जाने वाले पहले जत्थे में हम करीब 20 जने थे। सभी की उम्र 18 से 25 के बीच। सभी साथी 4-4 के ग्रुप में ट्रेन की अलग-अलग बोगियों में बैठ गए। रात को जैसे ही मथुरा स्टेशन आया उत्तरप्रदेश पुलिस सब बोगियां चेक करने लगी। इसी बीच अफरा-तफरी मची और हम वहां से भागने में सफल हो गए, लेकिन हमारा सामान ट्रेन में ही छूट गया। हम स्टेशन से पैदल ही निकल पड़े, रातभर चले।
सुबह ट्रक से कुछ दूर के लिए लिफ्ट ली, फिर पैदल चले। भूख से हालत खराब थी, लेकिन तीन दिसंबर को हम अयोध्या पहुंच ही गए। यहां सर्यू नदी में स्नान करते समय अचानक गोली चली। सब कारसेवक भागने लगे। जय श्रीराम के नारे लग रहे थे, कई भगदड़ में दबकर मर गए। कुछ गिर गए और कुछ को पुलिस ले गई। जैसे तैसे हम जंगल में भाग गए। रात करीब 12 बजे पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया। हमें नरहोली थाना ले गए। वहां कुछ साधु भी थे। लगभग 300 कारसेवक वहां थे सब जय सिया राम का नारा लगा रहे थे। पुलिस ने सबको पीटती और नाम-पता पूछकर बैरक में डाल रही थी। बाद में सुबह होने से पहले हमें बस में बैठाकर रवाना कर दिया। हमें पता नहीं था कहां ले जा रहे हैं, सुबह देखा तो हम सेंट्रल जेल में बंद थे। करीब 20 दिन हमें जेल में रख के जयपुर में छोटी चौपड़ थाने में लाया गया और सबको अपने-अपने घर जीप से छोड़ा। सालों बाद अब सपना पूरा होता देख खुशी के आंसू आ जाते हैं। (जैसा बृजेश कौशिक ने बताया)
Published on:
13 Jan 2024 12:28 pm
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