
Ayodhya Ramlala Temple Rajasthan Story: अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को श्री रामलला के मंदिर में भगवान के विग्रह की प्राणप्रतिष्ठा होगी। देश-विदेश से भक्त इस क्षण के साक्षी बनेंगे। लेकिन इस मंदिर के निर्माण में राजस्थान की भूमिका अहम है, क्योंकि इसमें मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर भगवान के विग्रह को संभालने के लिए हमारे यहां का पत्थर लगाया गया है।
मंदिर निर्माण में हमारे प्रदेश के योगदान के बारे रिपोर्ट-
भीलवाड़ा: बिजौलियां के पत्थर से बना फर्श और परिक्रमा मार्ग
भीलवाड़ा जिले के बिजौलियां से करीब पांच हजार टन सैंड स्टोन अयोध्या भेजा गया। 2 गुना 2 फीट के ये पत्थर रामलला के मंदिर के फर्श और परिक्रमा में लगाए जा रहे हैं। इनकी मोटाई 40 व 75 एमएम की है। पत्थर भेजने का काम सितम्बर 2023 से चल रहा है। अब तक 100 से अधिक ट्रेलर पत्थर ले जा चुके हैं। यहां का लगभग 15 हजार टन रेड व ग्रे स्टोन पत्थर भी मंदिर परिसर में लगेगा।
भरतपुर: हमारे पिंक स्टोन से बना रामलला का मंदिर
मंदिर निर्माण के लिए 1989 से मंदिर के लिए बयाना के बंशी पहाड़पुर से पत्थर ले जाने की शुरुआत हुई थी। इसके कुछ वर्ष बाद बंशीपहाड़पुर को वन संरक्षित घोषित कर दिया गया। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद जब पत्थर सप्लाई का काम कंपनी को दिया गया तो वन संरक्षित क्षेत्र होने के कारण अड़चन आई। ऐसे में करीब एक वर्ष के अंदर रिजर्व फोरेस्ट से इस क्षेत्र को हटाकर खनन के लिए आवंटित कर दिया गया। इसके बाद बड़ी मात्रा में पिंक स्टोन की स्लैब अयोध्या पहुंची।
नागौर: मकराना के संगमरमर पर विराजमान होंगे रामलला
मंदिर के गर्भगृह में संगमरमर से तैयार की गई वेदी पर रामलला विराजमान होंगे। इसे तैयार करने के लिए मकराना की खदानों से सफेद संगमरमर निकाला गया है। वेदी 3 फीट 4.5 इंच ऊंची है। इसकी विशेषता है कि समय के साथ ही इस पत्थर की चमक भी बढ़ती चली जाएगी। वेदी को बनाने के लिए कुशल कारीगर भी मकराना से ही गए हैं। गर्भगृह निर्माण के लिए 13 हजार 300 घनफीट संगमरमर काम लिया गया है। साथ ही 95 हजार 300 वर्गफीट मार्बल फर्श और क्लेडिंग (आवरण) में लगाया गया है। पत्थर मकराना में तैयार हुआ, बाद में कारीगरों ने अयोध्या पहुंचकर इसे जड़ा।
Published on:
06 Jan 2024 10:35 am
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