जिन बच्चों की मौत हुई, उनके इलाज के लिए उनके परिवारजनों ने पूरी कोशिश की, लेकिन करोड़ों रूपए का इंतजाम नहीं होने के कारण वे पूरा इलाज नहीं करवा पाए। दरअसल, ये बच्चे दुर्लभ बीमारी गोचर से पीड़ित हैं। जिनकी उम्र डेढ़ से दो वर्ष के बीच है। ऐसे बच्चों की सूची भी राज्य सरकार को उपलब्ध करवाई जा चुकी है। लाइसोसोमल स्टोरेज डिसआर्डर सोसायटी भी इन बच्चों के उपचार के लिए सरकार से मदद की मांग करते हुए सरकार को सूची दे चुकी है। इन बच्चों के उपचार के लिए सरकार से विशेष बजट की उम्मीद इनके परिवारजनों को है।
जेकेलोन है दुर्लभ बीमारी उपचार केन्द्र खिलोनों से खेलने की मासूम उम्र में गंभीर दुर्लभ बीमारी से पीड़ित इन बच्चों के उपचार की सुविधा राजधानी जयपुर के जेकेलोन अस्पताल में भी उपलब्ध है। यहां ऐसे कुछ बच्चों का अलग अलग सहायता के जरिये उपचार भी चल रहा है। इन बच्चों के उपचार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जताई जा चुकी है। जिसमें यह कहा गया है कि ऐसी बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए फंडिंग नहीं किए जाने से इनकी जान पर संकट रहता है।