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मस्त मस्त गर्ल रविना टंडन बनना चाहती थी पुलिस ऑफिसर, जयपुर में खोले ये राज

बिड़ला सभागार में 'चैट 06' यूथ समिट में रखे विचार

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raveena tondon

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जयपुर. अच्छा काम करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप किसी बड़ी चीज से शुरुआत करें। यकीन मानिए, बहुत छोटी-छोटी चीजें होती हैं, जिससे आप अंडरप्रिवलेज्ड लोगों की मदद कर सकते हैं। शुक्रवार को 'चैट 06' यूथ समिट में एक्ट्रेस रवीना टंडन ने कहा कि अच्छे यानी भलाई के कामों की आदत मुझमें पैरेंट्स ने बचपन से ही डाल दी थी। मेरी मदर को मैंने यही करते देखा था, जिसमें फादर भी उनका पूरा साथ देते थे। फिल्म इंडस्ट्री में आने के बाद भी इस आदत से ऑर्फनेज की मदद करती थी। दिवाली और ऐसे फेस्टिवल्स के लिए कई कॉरपोरेट मैगजीन व न्यूजपेपर फोटोशूट के लिए आते थे, तब उनके सामने एक ही शर्त होती थी कि इसके बदले में इन बच्चों के लिए पार्टी ऑर्गनाइज करेंगे। यदि आप अंडरप्रिवलेज्ड बच्चों के लिए अच्छा करना चाहते हैं तो रोजाना एक छोटा अमाउंट, चाहे वो 10 रुपए ही क्यों ना हो, उसे एक गुल्लक में जमा करें और उसे बाद में डोनेट कर दें। आप जिसे छोटी मदद समझते हैं, वो कुछ लोगों के जीवन में बहुत कुछ होता है।

सफलता में जुड़ा हो देश का हित

रवीना ने कहा कि हर व्यक्ति की अपनी एक कैपेबिलिटी होती है, जिससे वो लोगों की मदद कर सकता है, जरूरत है, उसे चैनलाइज कर अपनी क्षमताओं का उपयोग करने की। आपकी सफलता तब तक कोई मायने नहीं रखती, जब तक की उसमें देश का हित ना जुड़ा हो। लड़कियों को लेकर अब समाज की मानसिकता बदल रही है। मेरे जानने वालों में एक साधारण और कम पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं, जिनकी तीन बेटियां हैं, इस बात को लेकर बेहद खुश भी हैं। गल्र्स की एजुकेशन बेहद जरूरी है, क्योंकि यदि लड़कियां पढ़ी-लिखी होंगी तो उस परिवार को सही दिशा मिल पाएगी। गवर्नमेंट से लेकर कॉरपोरेट्स की ओर से किए जाने वाले वर्क में मेरा पहला सवाल यही होता है कि आपके प्रोजेक्ट में गल्र्स के लिए क्या है।

पैरेंट्स ना थोपें, अपनी उम्मीदें

अक्सर पैरेंट्स अपनी आशाओं को बच्चों के जरिए पूरा करना चाहते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए। आप बच्चों को जो वो करना चाहते हैं, जिस प्रोफेशन में जाना चाहते हैं, जाने दें, क्योंकि वहां वो बेहतर कर पाएंगे। 21 साल की उम्र में मैंने जब बच्चों को अडॉप्ट करने का सोचा, तब कई आंटीज ने इसका विरोध किया, लेकिन पैरेंट्स के एप्रीशिएशन से इसमें मदद की।

बनना चाहती थी पुलिस ऑफिसर
फिल्मों में आने से पहले मेरी चॉइस पुलिस ऑफिसर बनना थी। किरण बेदी से इंस्पायर्ड थी, लेकिन क्लास 10 से ही एक्टिंग के ऑफर आने लगे थे, लेकिन फादर ने कहा कि ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर लो, फिर डिसाइड करना और ऐसे फिल्मों में रुझान बढ़ा और काम करने लगी।