
Right to health bill: बढ़ सकती हैं मरीजों की मुश्किलें, 21 मार्च तक बंद रहेंगे निजी अस्पताल
नई दिल्ली. भारत संचारी रोगों में वृद्धि के साथ उच्च रक्त चाप, कैंसर, एनीमिया, कुपोषण समेत स्वास्थ्य संबंधी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग संबंधित संसद के स्थाई पैनल ने इनसे निपटने के लिए सरकार से स्वास्थ्य अनुसंधान बजट बढ़ाने की सिफारिश की है। पैनल ने कोरोना और उभरती चुनौतियों का हवाला देकर कहा है कि भारत में स्वास्थ्य अनुसंधान में सार्वजनिक निवेश काफी कम है। बीमारियों से निपटने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) को अनुसंधान पर 1,300 करोड़ रुपए से अधिक तत्काल खर्च करने की आवश्यकता है
लोकसभा में पेश रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि स्वास्थ्य अनुसंधान के बजटीय आवंटन को 2025-26 तक कुल स्वास्थ्य बजट का कम से कम पांच फीसदी और जीडीपी का 0.1 फीसदी तक बढ़ाना चाहिए।
इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन पर भी सवाल
पैनल ने पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन पर भी सवालिया निशान लगाया है। पैनल के अनुसार स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन वित्त वर्ष 2022-23 में आवंटित धन को खर्च करने में नाकाम रहा। बजट अनुमान 2022-23 में इस योजना के लिए 690 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, जिसमें से करीब 20त्न का ही उपयोग हुआ है। इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 का संशोधित अनुमान घटाकर 378.27 करोड़ रुपए किया गया है। पैनल के अनुसार योजना के तहत नागपुर में वन हेल्थ संस्थान और क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफॉर्म जैसे अहम प्रोजेक्ट अभी तक शुरू नहीं हुए हैं।
परमाणु, रक्षा अनुसंधान को अधिक आवंटन
संसदीय पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अनुसंधान के लिए आवंटित बजट का अधिकांश हिस्सा परमाणु अनुसंधान, रक्षा अनुसंधान और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों को आवंटित किया जाता है। इससे भारत इन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। वहीं सबसे बुनियादी और अहम स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान पर कम खर्च किया जा रहा है।
Published on:
22 Mar 2023 06:34 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
