
जयपुर। लोकायुक्त ने तत्कालीन पर्यटन मंत्री बीना काक द्वारा अपनी सुविधाओं के लिए राजस्थान पर्यटन विकास निगम से खर्च कराई राशि उनसे वसूलने की सिफारिश की है। महालेखाकार द्वारा इन सुविधाओं पर 32 लाख 73 हजार रुपए खर्च करने को सरकारी राशि का दुरुपयोग माना था। लोकायुक्त ने तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव राकेश श्रीवास्तव और भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक पूर्व अधिकारी सहित 5 अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को भी कहा है।
लोकायुक्त एसएस कोठारी ने इस मामले में सरकार को सिफारिश भेजी है। इसमें कहा है कि मंत्रियों को सभी सुविधाएं सरकारी खर्च पर दी जाती हैं। एेसे में सरकार या सार्वजनिक उपक्रम से मंत्रियों को अतिरिक्त सुविधाएं देने पर खर्चा नहीं करने दिया जाए। लोकायुक्त ने मंत्रियों के अतिरिक्त सुविधाएं मांगने पर पाबंदी लगाने और अधिकारियों द्वारा मांग पूरी नहीं करने के लिए सरकार से नीति बनाने को भी कहा है। इसमें सरकार ने स्पष्ट नीति और परिपत्र जारी करने पर विचार करने और सिफारिश पर तीन माह में कार्यवाही करने को भी कहा गया है।
इन अधिकारियों पर शिकंजा
लोकायुक्त ने जांच के आधार पर तत्कालीन पर्यटन मंत्री बीना काक, पर्यटन विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव राकेश श्रीवास्तव, पर्यटन विकास निगम लिमिटेड की तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक उषा शर्मा, तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक मंजीत सिंह, तत्कालीन संयुक्त सचिव चन्द्रशेखर मूथा, पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक विनोद अजमेरा एवं पर्यटन विभाग के तत्कालीन वित्तीय सलाहकार आलोक माथुर को नियमों की अवहेलना करने का दोषी पाया। इस मामले में राकेश श्रीवास्तव, उषा शर्मा, मंजीत सिंह, चन्द्रशेखर मूथा, विनोद अजमेरा व आलोक माथुर के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है।
सरकार से सुविधाएं मिलती हैं, अतिरिक्त सुविधा नहीं दें
लोकायुक्त की सिफारिश में कहा है कि मंत्रियों को आवास, वाहन व अन्य सुविधाएं सरकार से नि:शुल्क मिलती हैं। एेसे में मंत्री सरकार या सार्वजनिक उपक्रमों से अतिरिक्त सुविधाएं नहीं मांग सकते। यदि मांग की जाती हैं तो अधिकारी उन्हें पूरा नहीं करें। तथ्यों के अनुसार आरटीडीसी ने पूर्व मंत्री काक को 2009 से 2011 के बीच टीवी, फ्रिज, एसी, वाहन व अन्य सुविधाएं दीं। इसके लिए काक ने निर्देश दिया, जबकि आरटीडीसी केवल राज्यपाल का आदेश मानने को ही बाध्य है। इसके विपरीत निगम की ओर से सुविधाएं देने के निर्णय के बारे में सरकार को भी सूचना दी गई थी। निगम ने लगातार घाटे के बावजूद मंत्री की सुविधाओं के लिए अनियमित खर्चा किया।
दूसरे मंत्रियों पर भी किया खर्चा
महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 2006 से 2011 तक पर्यटन मंत्री के लिए कार, फर्नीचर, माइक्रोवेव ऑवर, टीवी, डीटीएच, वाटर कूलर, एसी व कम्प्यूटर पर कुल 32 लाख 73 हजार रुपए का अवैध खर्चा किया गया। रिपोर्ट में वसूली के लिए भी कहा गया। इस बारे में मीडिया में आई खबरों पर लोकायुक्त ने 9 अप्रेल 2012 को प्रसंज्ञान लिया था। इस पर जांच की गई।
Published on:
03 Jan 2018 10:15 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
