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अब खातेदारों के रजिस्टर्ड सहमतिधारकों को भी खनन पट्टा

राजस्थान में अब निजी खातेदारी में खातेदारों के रजिस्टर्ड सहमतिधारकों को भी खनन पट्टा ( mining leases ) और क्वारी लाइसेंस जारी किए जा सकेंगे। राज्य सरकार ने राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन रुल्स, 2017 'आरआरएमसी रुल्सÓ में आवश्यक संशोधन कर नए प्रावधान लागू कर दिए हैं। इससे राज्य में खनिज व खनन ( mineral and mining ) विकास की विपुल संभावनाएं धरातल पर आकार ले सकेंगी।

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अब खातेदारों के रजिस्टर्ड सहमतिधारकों को भी खनन पट्टा

अब खातेदारों के रजिस्टर्ड सहमतिधारकों को भी खनन पट्टा

जयपुर। राजस्थान में अब निजी खातेदारी में खातेदारों के रजिस्टर्ड सहमतिधारकों को भी खनन पट्टा और क्वारी लाइसेंस जारी किए जा सकेंगे। राज्य सरकार ने राजस्थान माइनर मिनरल कन्सेशन रुल्स, 2017 'आरआरएमसी रुल्सÓ में आवश्यक संशोधन कर नए प्रावधान लागू कर दिए हैं। इससे राज्य में खनिज व खनन विकास की विपुल संभावनाएं धरातल पर आकार ले सकेंगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इसके साथ ही खानों की आक्शन प्रक्रिया को और अधिक व्यावहारिक बनाया गया है, जिससे आक्शन विफल करने के प्रयासों पर भी रोक लग सकेगी।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा कर निजी खातेदारी भूमि में खातेदार के रजिस्टर्ड सहमति धारक को भी खनन पट्टा और क्वारी लाइसेंस का आवंटन किया जाना प्रस्तावित किया था। मुख्यमंत्री गहलोत की इस पहल से अब निजी खातेदारी में सहमति के आधार पर खनन क्षेत्र में विशेषज्ञों की भी भागीेदारी सुनिश्चित हो सकेगी। इससे राज्य में निजी खातेदारी में गुणवत्तापूर्ण खनन, विशेषज्ञ सेवाएं, स्थानीय स्तर पर अधिक रोजगार, खनन क्षेत्र में निवेश, खनिज विकास और राज्य सरकार को अधिक राजस्व मिल सकेगा। इसके साथ ही निजी खातेदारों को भी निश्चित व अधिक आय मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण खनन के साथ ही रोजगार और निवेश के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे। खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि नए प्रावधानों की अधिसूचना जारी कर खान विभाग की बजट घोषणा को अमली जामा पहनाया गया है। इसके साथ ही आवश्यक संशोधन करने से खनन गतिविधियां और अधिक पारदर्शी, गतिशील व सहभागितापूर्ण बनाई गई है। इससे राज्य में खातेदारी भूमि पर खनन गतिविधियों में स्थानीय युवा भागीदारी बढ़ेगी। संशोधन से पहले निजी खातेदारी में खातेदार को ही खनन अनुमति मिलती थी।