
जयपुर। रजिस्ट्रार कार्यालय में पावर ऑफ अटॉर्नी व वसीयत से रजिस्ट्री होना बंद हो गया है। जिसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसे लेकर वकीलों की ओर से नाराजगी जताई गई है। द डिस्ट्रिक्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन जयपुर के पूर्व अध्यक्ष डॉ सुनील शर्मा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से रजिस्ट्री शुरू कराने की मांग की है। शर्मा ने बताया है कि पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग द्वारा पावर ऑफ अटॉर्नी एवं वसीयत के रजिस्टर्ड होने के उपरांत भी उनसे रजिस्ट्री नहीं की जा रही है। जिससे आम जनता एवं अधिवक्ता समुदाय परेशान है।
प्रतिदिन सैकड़ो लोग पावर ऑफ अटॉर्नी एव वसीयत से रजिस्ट्री कराने रजिस्टार कार्यालय आते है। उनको रजिस्ट्री करने से मना कर दिया जाता है।रजिस्टर कार्यालय द्वारा मनमर्जी की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। फिर भी रजिस्ट्री करने से मना किया जा रहा है। जिसकी वजह से करोड़ों रुपए की स्टाम्प ड्यूटी जमा नहीं हो पा रही है। इससे सरकारी कोष में रोजाना करोड़ों रुपए का घाटा लग रहा है। शर्मा ने मांग की है कि बिना किसी आदेश के आम जनता को परेशान करने एवं उनकी रजिस्ट्री करने से मना करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएं।
स्टांप एक्ट के अंतर्गत पावर ऑफ अटॉर्नी एवं वसीयत से रजिस्ट्री किए जाने का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति असक्षम या बीमार है तो वह पावर ऑफ अटानी अपने किसी नजदीकी व्यक्ति एवं रिश्तेदार को दे सकता है। जो रजिस्टर कार्यालय आकर रजिस्ट्री कर सके। उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। उसी प्रकार वसीयत करने के पश्चात वसीयत जो मृत्यु पूर्व किए जाने वाला डॉक्यूमेंट है। वसीयत करने वाले की मृत्यु हो जाती है तो वह पक्षकार या रिश्तेदार जिसके नाम से वसीयत हुई है। वह उसका मालिक एवं स्वामी बन जाता है। उसको भी रजिस्ट्री करने का पूरा अधिकार होता है।
Published on:
06 Feb 2024 10:59 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
