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राजस्थान में 2400 करोड़ रुपए के बिजली बिल में मिलेगी राहत, विभाग ने बनाई नई योजना

नलकूपों के संचालन पर करीब 2600 करोड़ रुपए का बिजली बिल चुकाना पड़ता है। इस भारी-भरकम खर्च के चलते पेयजल परियोजनाओं के लिए बजट जुटाना मुश्किल हो रहा है।

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jhalana pump house

Photo- Patrika Network

जलदाय विभाग अब पेयजल परियोजनाओं में ग्रीन एनर्जी के साथ-साथ विंड एनर्जी के माध्यम से पंप हाउस संचालित करने की योजना पर काम कर रहा है। विभाग को हर साल 25 एचपी से लेकर 300 एचपी से अधिक क्षमता वाले पंप हाउसों और नलकूपों के संचालन पर करीब 2600 करोड़ रुपए का बिजली बिल चुकाना पड़ता है। इस भारी-भरकम खर्च के चलते पेयजल परियोजनाओं के लिए बजट जुटाना मुश्किल हो रहा है।

अब विभाग की योजना दिन में सोलर एनर्जी और रात में विंड एनर्जी का उपयोग कर 24 घंटे पंप हाउस संचालन की है, जिससे डिस्कॉम से बिजली पर निर्भरता कम हो। मानसून के दौरान बादलों की मौजूदगी के कारण सोलर एनर्जी का उत्पादन बाधित होता है। ऐसे में विभाग के अधिकारी मानते हैं कि सोलर और विंड एनर्जी के संयोजन से बिजली बिल में 40 प्रतिशत तक की कमी संभव है। इसके लिए जल्द ही डीपीआर तैयार करने वाली कंसल्टेंट फर्म का चयन किया जाएगा। बाद में सोलर और विंड एनर्जी के क्षेत्र में कार्य कर रही कंपनियों को कार्य सौंपा जाएगा।

पंप हाउस और नलकूपों के संचालन का वार्षिक बिजली बिल (करोड़ रुपए में)

-300 एचपी से अधिक क्षमता वाले पंप हाउस- 1240 करोड़

-25 एचपी तक के नलकूप- 988 करोड़

-200 से 300 एचपी- 70 करोड़

-100 से 200 एचपी- 139 करोड़

-50 से 100 एचपी- 70 करोड़

-25 से 50 एचपी- 116 करोड़

इंजीनियरों के अनुसार, पेयजल सप्लाई के लिए 24 घंटे पंप हाउसों का संचालन जरूरी है। दिन में ये पंप सोलर एनर्जी से चलाए जाएंगे, लेकिन रात को सोलर पैनल से बिजली नहीं बनने के कारण विंड एनर्जी का उपयोग किया जाएगा। इससे पंप हाउस डिस्कॉम की बिजली के बिना भी लगातार संचालित हो सकेंगे।