
पत्रिका फाइल फोटो
जयपुर। सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाने के टेंडर में फर्जी बैंक गारंटी देकर 46 करोड़ रुपए एडवांस लेने के चर्चित मामले में जांच कमेटी को कोई भी दोषी नहीं मिला। कमेटी ने रिपोर्ट ऊर्जा विभाग को सौंप दी है, लेकिन सार्वजनिक नहीं की। मामला अक्षय ऊर्जा निगम का है।
कमेटी ने अनुबंधित कंपनी तीर्थ गोपीकोन पर जिम्मेदारी डालते हुए उसे घोटाले का मुख्य आरोपी माना है। हालांकि, सवाल उठते रहे कि बिना अधिकारियों की जानकारी के इतना बड़ा घोटाला कैसे हुआ? ऊर्जा विभाग ने कमेटी का गठन किया था, ताकि सच सामने आए। इसी बीच निगम के वित्त निदेशक का तबादला भी हो गया है।
वहीं, एमडी (तत्कालीन) का पहले ही तबादला ऊर्जा विकास निगम में हो चुका था। जांच रिपोर्ट के तथ्यों की जानकारी के लिए ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव अजिताभ शर्मा को कॉल किया और एसएमएस भी किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
इस घोटाले में लिप्त कंपनी ने मध्यप्रदेश में भी इसी तरह करतूत की। मामले में सीबीआइ की एंट्री हुई और उन्होंने कंपनी के अफसरों की गिरफ्तारी भी की। राजस्थान के मामले में भी सीबीआइ जांच कर रही है।
राजस्थान की सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए 456 करोड़ रुपए का टेंडर हुआ, जिसमें 60 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी के जरिए अनुबंधित कंपनी तीर्थ गोपीकोन ने 46 करोड़ रुपए एडवांस ले लिए। अक्षय ऊर्जा निगम ने कंपनी को टर्मिनेट कर ब्लैकलिस्ट कर दिया। निगम ने एक टीम कोलकाता भेजी थी। यहां संबंधित बैंक प्रबंधन से जानकारी ली तो बैंक गारंटी फर्जी निकली।
कमेटी की जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग को भेज दी है। रिपोर्ट में क्या फाइंडिंग है, वे ही बता सकते हैं।
-सौरभ स्वामी, संयुक्त सचिव, ऊर्जा विभाग
Published on:
25 Nov 2025 08:53 am
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