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राठौड़ की याचिका पर विधानसभा सचिव की ओर से जवाब पेशकर कहा, अध्यक्ष ने नामंजूर किए इस्तीफें

81 ने दिया था त्यागपत्र, जिसमें पांच के त्यागपत्र की फोटो प्रतियां संलग्न, छह विधायक ही हुए थे अध्यक्ष के सामने पेश

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राजस्थान हाईकोर्ट को मिले 9 नए जज, अब भी 15 जजों की रहेगी कमी

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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की ओर से दिए इस्तीफों के मामले में महाधिवक्ता ने विधानसभा सचिव की ओर से सोमवार को जवाब पेश किया। जिसमें कहा कि 25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष को 81 विधायकों ने इस्तीफें सौंपे थे। जिसमें पांच इस्तीफों की फोटो प्रतियां थी। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष के सामने छह ही विधायक उपिस्थत थे। इन सभी त्यागपत को विधानसभा अध्यक्ष ने नामंजूर कर दिया था। इससे पहले न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ में राजेंद्र राठौड़ ने याचिका की मेंशनिंग की। सुनवाई के दौरान राठौड़ ने कहा कि दो जनवरी को कोर्ट ने दस दिन का समय जवाब देने के लिए दिया था लेकिन अब तक जवाब नहीं दिया गया है। जिस पर महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने कोर्ट समय समाप्त होने से पहले जवाब पेश करने का आश्वासन दिया। जिस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता राठौड़ को तीन दिन में प्रति उत्तर पेश करने का समय देते हुए सुनवाई 20 जनवरी तक स्थगित कर दी।

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि 91 विधायकों के त्याग पत्र दिये जाने के 110 दिन पूर्ण होने के पश्चात् भी निर्णय ले कर सूचित नही किया है । विधानसभा अध्यक्ष व विधानसभा सचिव की तरफ से न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद जवाब की प्रति उपलब्ध नहीं कराई है। जिस पर महाधिवक्ता ने कहा कि 91 विधायकों के त्याग पत्र प्रकरण पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा निर्णय लिया जा चुका है और इस्तीफे रिजेक्ट कर दिए हैं। महाधिवक्ता ने कहा कि आज कोर्ट के समय में विधानसभा सचिव द्वारा निष्पादित शपथ पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया जायेगा और उसकी प्रति राठौड़ को भी उपलब्ध करा दी जायेगी। दिन में महाधिवक्ता ने विधान सभा सचिव की ओर से जवाब में कहा कि 91 इस्तीफ़े कभी दिए ही नही गए. वास्तव में 81 विधायकों ने इस्तीफें दिए थे। जिनमें से 5 तो फ़ोटो कोपी थे और 6 विधायकों ने इन सभी 81 विधायकों के इस्तीफ़े सौंपे थे। इन सभी विधायकों ने स्वयं स्पीकर के समक्ष उपस्थित हो कर अपने अपने इस्तीफ़े वापिस लेने के पत्र प्रस्तुत कर दिए हैं। विधान सभा प्रक्रिया नियम के तहत स्वीकार होने से पहले सदस्य इस्तीफ़ा वापिस ले सकता है। महाधिवक्ता के पैरवी करने पर आपत्ति पर कहा गया कि नियमों के तहत वे विधानसभा अध्यक्ष व सचिव की ओर से पक्ष रख सकते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला भी दिया गया है।