12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सचिन पायलट खेमे के विधायकों का टूट रहा सब्र, चाहते हैं पंजाब की तर्ज पर समाधान

सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद सुलह के लिए बनी कमेटी का मंगलवार को एक साल पूरा हो गया। सुलह कमेटी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बनाई गई थी। इस एक साल में कमेटी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी।

2 min read
Google source verification
sachin pilot

sachin pilot

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जयपुर। सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद सुलह के लिए बनी कमेटी का मंगलवार को एक साल पूरा हो गया। सुलह कमेटी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बनाई गई थी। इस एक साल में कमेटी एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी। पायलट खेमा अब भी 'समाधान' का इंतजार कर रहा है। पायलट सालभर से चुप्पी साधे हैं और एआइसीसी के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उनके खेमे के विधायकों में मांग पूरा नहीं होने से अब नाराजगी बढ़ती दिख रही है। पायलट समर्थक विधायक और नेता पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी तत्काल एक्शन चाहते हैं।

वेणुगोपाल ने 10 अगस्त को बनाई थी सुलह कमेटी-
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कार्यप्रणाली से नाराज होकर सचिन पायलट ने समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। एक माह से अधिक समय तक गहलोत-पायलट खेमे के विधायक अलग-अलग बाड़ाबंदी में रहे थे। इसके बाद 10 अगस्त 2020 को पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ राहुल-प्रियंका गांधी से मिले और पायलट की मांगों के समाधान को लेकर एआइसीसी संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने तीन सदस्यीय सुलह कमेटी का ऐलान किया था। इस कमेटी में स्वयं वेणुगापोल, प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन और वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को शामिल किया गया था। पटेल का पिछले दिनों निधन हो चुका है।

माकन ने कहा था: मैं ही दिल्ली-
कुछ दिन पहले ही अजय माकन ने विधानसभा में दो दिन तक एक-एक विधायक से बात कर फीडबैक लिया था। उसमें भी पायलट खेमे के विधायकों ने मांगों पर त्वरित कार्रवाई को लेकर बात रखी थी। इसके बाद निर्णय को लेकर मीडिया से माकन ने कहा भी मैं ही दिल्ली हूं। पर वे दिल्ली जाने के बाद अब तक भी कोई समाधान नहीं निकाल सके हैं।

पायलट खेमे की मांग-
सचिन पायलट अपने खेमे के वरिष्ठ विधायकों को मंत्री बनाने के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों में उन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया है। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पायलट खेमे के लोगों को सत्ता में भागीदारी को लेकर बात नहीं बन पा रही है। हालांकि प्रयास कई बार हुए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी कई बार कोशिशें हो चुकी हैं, लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।