जयपुर। चाहे मां सरदार बेगम हो या उनके जीवन में आई अमृता प्रीतम या सुधा मल्होत्रा, साहिर लुधियानवी ने औरत के साथ रिश्ता शिद्दत के साथ निभाया। यही वजह है कि उनके नगमों, शायरियों में हमेशा औरत के जज्बात बोलते रहे हैं। मौका था, होली और महिला दिवस के अवसर पर साहिर लुधियानवी की 102वीं जयंती के मौके पर राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर की ओर से जवाहर कला केंद्र में में आयोजित साहिर की परछाइयां कार्यक्रम का। कार्यक्रम सिम्पोजियम और गायन दोनों प्रारूपों में हुआ। एक ओर गायकों ने साहिर के मशहूर गीत अपनी आवाज में पेश किए, वहीं उनके जीवन पर तकरीर भी पेश की गई।
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राजस्थान उर्दू अकादमी के अध्यक्ष डॉ. हुसैन रजा खान ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्य अतिथि आईआरएस अधिकारी एवं गायिका रोली अग्रवाल ने तुम अपना रंजो गम अपनी परेशानी मुझे दे दो…, गजल को पेशकर माहौल को खूबसूरत बनाया। वहीं आरएएस अधिकारी सना सिद्दिकी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस मौके पर डॉ. गौरव और डॉ. दीपशिखा ने साहिर लुधियानवी के एक से बढकऱ एक नगमों को अपनी आवाज के पिरोया। उन्होंने जुल्म ए उल्फत, मन रे, अभी न जाओ छोडकऱ, जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा जैसे गीतों की महफिल सजाई।
इस दौरान डॉ. जेबा जीनत ने साहिर पर तकरीर पेश की। उन्होंने बताया कि साहिर के वालिद बड़े जमींदार थे। साहिर जब सिर्फ आठ साल के थे तो उनके पिता ने उन्हें मां या पिता में से एक को चुनने को कहा था। साहिर ने अपनी गरीब मजबूर मां को चुना और उनका दामन ऐसा थामा कि उनकी अंतिम सांस तक साहिर उनके साथ रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री के ओएसडी फारूक अफरीदी, प्रो. अमला बत्रा, परवीन खान आदि उपस्थित रहे।