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राजस्थान में दिवाली पर पटाखों की बिक्री ने तोड़े सारे रिकॉर्ड

देश का सबसे बड़ा त्योहार यानि दिवाली...। पांच दिन के इस त्योहार पर इस बार जमकर खरीदी हुई है फिर चाहे वे वाहन हो, घरेलू उत्पाद हो, कपड़े हो या फिर पटाखे।

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sale of firecrackers on diwali 2021 in rajasthan

जयपुर। देश का सबसे बड़ा त्योहार यानि दिवाली...। पांच दिन के इस त्योहार पर इस बार जमकर खरीदी हुई है फिर चाहे वे वाहन हो, घरेलू उत्पाद हो, कपड़े हो या फिर पटाखे। पटाखों ने तो पुराने सभी सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। कीमत में ज्यादा होने के बाद भी पिछले सालों की तुलना में ज्यादा पटाखे बेचे गए हैं। ग्रीन पटाखों पर खरीदारों का जोर रहा है लेकिन इसके साथ ही सादा पटाखों की बिक्री भी खूब हुई है।

2000 करोड़ के पटाखे बेचे
फायर वर्कस आर्टिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मानें तो साल 2019 में प्रदेश में करीब 14 हजार करोड़ रुपए के पटाखे बेचे गए थे। पिछली बार कोरोना की मार ऐसी पडी कि कारोबारियों की हालत बेहद टाइट हो गई। इस बार भी सरकार ने रोक लगा ही दी थी लेकिन बाद में दिवाली से बीस दिन पहले इसे हटाया गया तो बाजार ने खुलकर सांस ली। दस दिन पहले से नियमानुसार बिक्री शुरु हो सकी और इस दिवाली करीब दो हजार करोड़ रुपए के पटाखे बेचे गए हैं। जयपुर में ही अकेले चार सौ करोड़ के पटाखे लोगों ने खरीदे हैं। ग्रीन पटाखों पर अधिक जोर है और वे ही ज्यादा से ज्यादा बेचे गए हैं।

दो घंटे की दी अनुमति
दरअसल जयपुर में पटाखों की 120 स्थायी दुकानें हैं। साथ ही इस साल 1200 से ज्यादा दुकानदारों ने दुकानों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया है और अधिकतर को मिल भी गया है। प्रदेश भर में जयपुर के अलावा करीब सौ दुकानें स्थायी हैं। साथ ही करीब छह हजार से ज्यादा अस्थायी लाइसेंस हर साल मांगे जाते हैं। जयपुर और राजस्थान में करीब अस्सी फीसदी से ज्यादा माल शिवाकाशी से ही आता है। प्रदेश में 12 बड़े कारोबारियों को ग्रीन पटाखे बनाने की अनुमति है। सरकार ने आठ बजे से दस बजे की परमिशन दी है।

बीकानेर की फुलझड़ी तो गंगानगर के 'बम' पटाखे
बीकानेर में फुलझड़ियां बनाने का काम जोरों से होता है। यहां कारीगर दिवाली के साथ-साथ साल भर फुलझड़ियां बनाते हैं और इसकी सप्लाई बाहर भी की जाती है। बीकानेर संभाग के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, में भी पटाखों की फैक्ट्रियां हैं। जहां तेज आवाज वाले बम मनाए जाते हैं। वहीं जयपुर भी कम नहीं हैं। यहां शोरगर मिट्टी के बर्तनों में आतिशबाजी तैयार करते हैं। अलवर, भरतपुर और अजमेर में भी बड़ी फैक्ट्रियां हैं। जहां पटाखे बनाए जाते हैं।

पिछले साल फैक्ट्रियों से ही नहीं उठाया माल
राजस्थान में बनने वाले पटाखे-फुलझड़ी राज्य के अलावा हरियाणा, पंजाब, गुजरात, यूपी और दिल्ली जैसे राज्यों में बिकते हैं। पिछले साल कोरोना के चलते ये माल नहीं बिका लेकिन इस बार उम्मीद है कि पूरा माल बिक जाएगा। जयपुर में चांदी की टकसाल पर स्थित पटाखा कारोबारी विजय गोयल ने बताया कि पिछले साल तो माल ही नहीं उठा। फैक्ट्रियों में ही रखा रह गया। इस बार उम्मीद है कि पुराना और नया सब बिक जाएगा। पिछले सालों की तुलना में माल महंगा भी है। इसका सबसे बड़ कारण पैट्रोल और डीजल है।