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गांव की सरकार, राज से नाराज…. अटक गया कामकाज

बीते एक माह से सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी कार्य बहिष्कार पर, सरकार नहीं निकाल पा रही कोई हल  

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गांव की सरकार, राज से नाराज.... अटक गया कामकाज

5 अगस्त को सरपंच अपनी मांगों को लेकर जयपुर के महापड़ाव में जुटे थे

जयपुर. गांव की सरकार कहे जाने वाले सरपंच और पंचायत में प्रशासन की महत्वपूर्ण कड़ी ग्राम विकास अधिकारी, दोनों ही सरकार से नाराज चल रहे हैं। बीते एक माह से कार्य बहिष्कार और धरने-प्रदर्शन के बावजूद सरकार सरपंच संघ और ग्राम विकास अधिकारी संघ की मांगों पर समाधान नहीं खोज पा रही है। इसका असर अब ग्रामीण विकास की योजनाओं और नियमित कामकाज पर भी नजर आ रहा है। सरकार को अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रम स्थगित करने पड़े हैं, जबकि मनरेगा जैसी योजनाओं में इस कार्य बहिष्कार के अवधि में मजदूरों की संख्या में गिरावट देखी गई है। इधर, सरपंच संघ और ग्राम विकास अधिकारी संघ ने वार्ता नहीं होने की सूरत में फिर से 10 और 11 सितंबर को जयपुर में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है।

सरपंच संघ 10 को देगा धरना

राजस्थान सरपंच संघ के संयोजक महेन्द्र सिंह मझेवला के अनुसार 10 सितंबर को शहीद स्मारक पर फिर से पूरे प्रदेश के सरपंच धरने पर जुटेंगे। 5 अगस्त के महापड़ाव के बाद सरपंचों की कुछ मांगें सरकार ने मान ली थीं, लेकिन कुछ पर अभी भी निर्णय शेष है।

11 को ग्राम विकास अधिकारी आएंगे

पंचायत राज मंत्री से हुए लिखित समझौते की पालना के लिए आंदोलनरत ग्राम विकास अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष महावीर शर्मा ने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी अब 11 सितंबर से 2 अक्टूबर तक लगातार शहीद स्मारक पर धरना देंगे।

मनरेगा में 5 लाख ही रह गए मजदूर

मनरेगा के नियमित आंकड़ें देखें तो सोमवार को योजना में 5.34 लाख श्रमिक नियोजित हुए। जबकि 15 जुलाई को यह संख्या 17 लाख से अधिक थी।

सरकार को टालनी पड़ी सोशल ऑडिट

ग्रामीण विकास विभाग ने 22 अगस्त से सभी पंचायत समितियों में मनरेगा समेत अन्य योजनाओं की सोशल ऑडिट के लिए कैलेंडर जारी किया था। लेकिन सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी दोनों ने ही इसके बहिष्कार की घोषणा की। कार्यक्रम को टाल दिया गया।