उन्होंने कहा कि देश में सर्वाधिक बेरोजागार 27.6 प्रतिशत राजस्थान में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने दो साल में बहुत कम लोगों को नौकरियां दी गई हैं। नौकरी देने का जितना दावा एवं वादा किया गया था, आंकड़े उसके नजदीक भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी भत्ता देने के भी वादे किए गए लेकिन चार लाख 56 हजार युवा बेरोजगार भत्ते के योग्य थे मगर दो लाख युवाओं को ही भता दिया गया बाकी दो लाख 56 हजार युवाओं को भत्ता क्यों नहीं दिया गया। भर्ती परीक्षाओं में पर्चे लीक की घटनाएं हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को श्वैत पत्र लेकर आना चाहिए। इसी तरह भाजपा के विधायक रामलाल शर्मा ने भी स्थगन प्रस्ताव के तहत यही मुद्दा उठाते हुए कहा कि राजस्थान में हर भर्ती पर संशय होता एवं हर भर्ती के लिए पहले से मुन्ना भाई तैयार रहते हैं। उन्होंने मांग की सभी भर्तियों के लिए एक विशेष गाइडलाइन बनानी चाहिए। शर्मा ने कहा कि ढाई लाख संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया गया लेकिन पौने तीन साल बाद भी इन्हें नियमित नहीं किया गया और इस संबंध में केवल एक समिति का गठन कर दिया गया है।
इसी माध्यम से विधायक बलजीत यादव ने भी बेरोजगार के संबंध में मुद्दा उठाते हुए मांग की कि कानून बनाया जाना चाहिए कि राज्य में राज्य के बेरोजगार युवाओं को ही नौकरी मिले। उन्होंने कहा कि राज्य के बाहर के गिरोह के लोग पकड़े जाते हैं। उन्होंने कहा कि पेपर लीक आदि के संबंध में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इनके अलावा विधायक अशोक लाहोटी एवं दीप्ति माहेश्वरी ने भी यह मुद्दा उठाया।