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Jaipur Literature Festival 2023 : स्कार्स ऑफ 1947: द हीलिंग,  बंटवारे का बोझ लोगों के दिलो-दिमाग पर आज भी

राजनेता राजीव शुक्ला ने बुक पर चर्चा करते हुए कहा कि इसमें उन परिवारों की कहानियों को एकत्रित किया गया है, जिन्होंने उन भयावहताओं का सामना करने के बाद खुद को फिर से बनाया है।

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Jaipur Literature Festival 2023 : स्कार्स ऑफ 1947: द हीलिंग,  बंटवारे का बोझ लोगों के दिलो-दिमाग पर आज भी

Jaipur Literature Festival 2023 : स्कार्स ऑफ 1947: द हीलिंग,  बंटवारे का बोझ लोगों के दिलो-दिमाग पर आज भी

राजनेता और पूर्व पत्रकार राजीव शुक्ला ने ‘स्कार्स ऑफ 1947: द हीलिंग’ बुक पर चर्चा करते हुए कहा कि इसमें उन परिवारों की कहानियों को एकत्रित किया गया है, जिन्होंने उन भयावहताओं का सामना करने के बाद खुद को फिर से बनाया है। सत्र में पूर्व राजदूत नवदीप सूरी ने भी 1947 के विभाजन का दर्द और उपचार के बारें में चर्चा की। शुक्ला ने कहा कि विभाजन की इन वास्तविक कहानियों के माध्यम से मैने प्रेम, दया और मानवीय भावना की प्रेरक कहानियों को संजोया है। इसमें ऐसे लोगों की कहानियां हैं, जो आगे चलकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उद्योगपति, चिकित्सा शोधकर्ता और बहुत कुछ बने। बंटवारे के सात दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी लोगों के दिलो-दिमाग पर आज भी दुख का भारी बोझ है। नक्शे पर स्याही के एक झटके से एक राष्ट्र दो भागों में विभाजित कर दिया गया, जिससे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक के परिवार प्रभावित हुए, जिसके परिणामी घाव आज भी गहरे हैं।

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रेडक्लिफ रेखा से लोगों को अकल्पनीय आघात

नवदीप सूरी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली खतरनाक रेडक्लिफ रेखा ने दोनों ओर के लोगों को अकल्पनीय आघात का अनुभव कराया है। विस्थापन के समय लाखों लोगों के साथ घटित भयानक घटनाएं उन लोगों की यादों में हमेशा के लिए अंकित हो गई हैं, जो इस दुःस्वप्न से बच गए थे। इस व्यापक तबाही के बावजूद, मानवता, धैर्य और दृढ़ संकल्प की कुछ उत्थान कहानियां भी थी। विभाजन के बाद के दशकों में कैसे परिवारों ने अपने जीवन को फिर से बनाया, इनकी ये कहानियां याद रखने लायक हैं।