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राजस्थान सरकार ने प्रदेश के सभी 33 जिलों में शुरू की एतिहासिक पहल

School bag weight law india 2019: राजस्थान में राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने की पहल करते हुए इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरु किया गया है।

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जयपुर। School bag weight law india 2019: राजस्थान में राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने की पहल करते हुए इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरु किया गया है। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने राजकीय विद्यालयों में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के पायलट प्रोजेक्ट का जयपुर से शुभारम्भ किया।

इस अवसर पर डोटासरा ने कहा कि राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां बस्ते के बोझ ( RBSE school bag weight ) को कम करने के लिए नवाचार अपनाते हुए यह एतिहासिक पहल की गई है। उन्होंने कक्षा एक से पांच के बच्चों को बस्ते के बोझ को कम कर तैयार नवीन पुस्तकें भी वितरित की।

डोटासरा ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, वाटिका में इस सम्बन्ध में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बताया कि पाठ्यपुस्तकों का दो तिहाई वजन कम किया गया है। अब बच्चों को वर्तमान पुस्तकों के एक तिहाई भार के रूप में अलग अलग पुस्तकों के स्थान पर एक ही पुस्तक स्कूल लेकर जानी होगी।

उन्होंने बताया कि कक्षा एक के विद्यार्थियों की पुरानी किताबों का वजन 900 ग्राम था जो अब 400 ग्राम किया गया है। कक्षा दो में 950 ग्राम को 300 ग्राम, कक्षा तीन में एक किलो 350 ग्राम के स्थान पर 500 ग्राम, कक्षा चार में एक किलो 450 ग्राम के स्थान पर 500 ग्राम तथा कक्षा पांच में पुरानी किताबों के वजन एक किलो 250 ग्राम को घटाकर मात्र 500 ग्राम करने की पहल की गयी है।

इस प्रकार कक्षा एक से पांच तक की किताबों के वजन को 5 किलो 900 ग्राम वजन को घटाकर 2 किलो 200 ग्राम तक कर दिया गया है। डोटासरा ने बताया कि प्रायोगिक रूप में राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 33 जिलों से एक-एक विद्यालय का चयन कर बस्ते के बोझ को कम करने की यह शुरुआत की है।

इसके तहत आरम्भ में कक्षा एक से पांच तक बस्ते का दो तिहाई बोझ कम हुआ है। उन्होंने बताया कि बोझ कम करने के ( CBSE school bag weight ) इस निर्णय की सतत समीक्षा की जाएगी। परिणाम सफल रहने पर आने वाले समय में इसे कक्षा एक से बारह तक प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।

उन्होंने निजी विद्यालयों का भी आह्वान किया कि वे भी इस तरह की शुरुआत करें ताकि बच्चों को कम पुस्तक बोझ लेकर स्कूल जाना पड़े। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रयासों के कारण 3.50 लाख बालिकाओं का नामांकन बढ़ा है।

उन्होंने राजस्थान देशभर में शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बने, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की दस हजार लंबित परिवेदनाओं में से 98 प्रतिशत तक का समाधान कर दिया गया है।


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