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जया गुप्ता/जयपुर. पृथ्वी पर इंसानों का मरना तय है, लेकिन हमारे देश में वाहन ‘अमर’ हैं। केंद्र सरकार ने वाहनों के कबाड़ होने के उम्र (अवधि) तय नहीं कर रखी है। परिवहन विभाग के दस्तावेजों में ऐसे वाहन पंजीकृत हैं जिनका पंजीयन 40-50 साल पहले किया गया था। इसी कारण सड़कों पर कंडम हालत में लाखों वाहन दौड़ रहे हैं। ये वाहन वायु प्रदूषण भी अधिक कर रहे हैं। वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या का बड़ा कारण भी यही है। फिलहाल प्रदेश में करीब दो करोड़ वाहन पंजीकृत हैं, वहीं जयपुर में 34 लाख से अधिक वाहन दौड़ रहे हैं।
केंद्र सरकार ने 38 साल से तय नहीं की वाहनों की अवधि
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 59 में मोटर वाहनों का जीवन काल तय करने के लिए केंद्र सरकार को अधिकृत किया गया है। जिसके अनुसार केंद्र सरकार किसी मोटर यान का जीवन काल निर्धारित कर सकेगी। जिसकी गणना उसके निर्माण की तारीख से की जाएगी। अधिनियम लागू किए 38 बरस बीत चुके हैं, लेकिन केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने आज तक किसी भी प्रकार के वाहन की आयु निर्धारित नहीं की है।
अब स्क्रैप पॉलिसी लाए मगर उम्र तय नहीं की
केंद्र सरकार ने देश में कई माह पहले स्क्रैप पॉलिसी भी लागू की है, लेकिन इसमें भी वाहनों की आयु तय नहीं की गई। मंत्रालय ने जब पॉलिसी के नियम बनाए तो उसमें स्क्रैपिंग के पात्र माने गए वाहनों में उनकी आयु का आधार ही नहीं रखा गया। यही कारण है कि प्रदेश में स्क्रैपिंग सेंटर खोलने के लिए अभी तक एक भी आवेदन परिवहन विभाग के पास नहीं आया है। ट्रांसपोर्ट से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि जब सरकार ने वाहनों की उम्र ही तय नहीं की है तो स्क्रैप होने के लिए वाहन ही नहीं आएंगे।
एनजीटी या सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बंद
वर्तमान में दिल्ली-एनसीआर व देश के कुछ राज्यों में कुछ चुनिंदा शहरों में ही 15 साल से अधिक पुराने वाहन चलाने पर पाबंदी है। प्रदेश की बात करें तो जयपुर समेत पांच शहरों में 15 साल से पुराने डीजल वाहन चलाने पर रोक है। शेष सभी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 15 साल से अधिक पुराने वाहन नवीनीकरण करवाकर चलाए जा सकते हैं।
Published on:
19 Jul 2022 12:13 pm
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