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परनामी के बाद सरकार के लिए साबित हो सकती है ये बड़ी परेशानी, एससी एसटी एक्ट में हो सकता है बड़ा बदलाव

परनामी के बाद सरकार के लिए साबित हो सकती है ये बड़ी परेशानी, एससी एसटी एक्ट में हो सकता है बड़ा बदलाव

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जयपुर

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rohit sharma

Apr 18, 2018

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SC-ST reservation banned of india, sc st quota

जयपुर

पूरे भारत में SC/ST ACT के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार की नींद टूट गई है। एक तरफ कोर्ट का आदेश है तो दूसरी तरफ लाखों वोट। इस मामले में सरकार दोनों तरफ से फंस सी गई। ऐसे में इस वर्ष राजस्थान में विधानसभा चुनाव भी होने हैं और इस क़ानून की वजह से चुनावों के परिणामों में भी गहरा असर देखा जा सकता है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन के खिलाफ तोड़ निकाल लिया है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार एससी/एसटी एक्ट में कोर्ट के आदेश को पलट सकती है और नया क़ानून पारित कर सकती है। सरकार एक अध्यादेश तैयार कर रही है और कानून मंत्रालय इस अध्यादेश पर काम कर रहा है।

एससी/एसटी कानून में संशोधन के आदेश के बाद पूरे भारत में इसका विरोध प्रदर्शन हुआ था। दलित संगठनों ने सरकार पर भी आरोप लगाया था की सरकार इस मामले मामले को लेकर गंभीर नहीं है। विपक्ष की दूसरी पार्टियां भी इस बात का फ़ायदा उठा कर सरकार की छवि दलित विरोधी बना रही है। ऐसे में सरकार इस मामलें को लेकर SC/SC ACT के लिए नया क़ानून बना कर अपनी छवि सुधार सकती है और दलित वर्ग के लोगों को भी बड़ी राहत दे सकती है।

सरकार ने अभी साफ़ तौर पर इस मामले पर घोषणा नहीं की है लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक़ जल्द ही सरकार इस मामले को लेकर बड़ी घोषणा कर सकती है।

दलित विरोधी छवि से हो रही है चिंता

सरकार ने एससी एसटी क़ानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी हाल ही में दायर की है। अगर पुनर्विचार याचिका से कोई हल नहीं निकलता है तो सरकार नए क़ानून के जरिए इस क़ानून में बदलाव कर सकती है।

क्या है एससी एसटी एक्ट

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989, The Scheduled Castes and Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989 को 11 सितम्बर 1989 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया था, जिसे 30 जनवरी 1990 से सारे भारत में लागू किया गया। यह अधिनियम उस प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता हैं जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नही हैं तथा वह व्यक्ति इस वर्ग के सदस्यों का उत्पीड़न करता हैं। इस अधिनियम मे 5 अध्याय एवं 23 धाराएं हैं।


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