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जयपुर। केंद्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू कर आर्थिक आधार पर पिछड़ें सवर्णो को बड़ा तोहफा दिया लेकिन संपत्ति संबंधी प्रावधान की बाध्यता जोड़ दी। इस बाध्यता को राजस्थान में गहलोत सरकार ने हटा कर जनता को राहत तो दे दी, लेकिन ईडब्लयूएस आरक्षण के नियम केंद्र और राज्य में अलग-अलग हो गए हैं।
केंद्र की नौकरियों में संपत्ति संबंधी प्रावधान की बाध्यता बरकरार है, जिससे आर्थिक आधार पर पिछड़ें सवर्णों के सामने परेशानी है। इसी परेशानी से निजात दिलाने का आश्वासन रविवार को केंद्र जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिया।
शेखावत ने जयपुर के संस्थापक और महाराजा सवाई जयसिंह की 332 भी जयंती के अवसर पर राजपूत सभा की ओर से आयोजित जयंती समारोह और सम्मान समारोह में कहा कि राज्यों ने अपने हिसाब से ईडब्ल्यूएस के नियम बना लिए हैं जबकि केंद्र में नियम अलग है ऐसे में केंद्र की नौकरियों और राज्यों की नौकरियों में ईडब्ल्यूएस के तहत अलग-अलग नियम हो गए हैं। शेखावत ने आश्वासन दिया कि वे इस सबंध में शीघ्र ही केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत से बात करेंगे।
समारोह में उठी मांग
दरअसल समारोह में ये मांग उठी थी कि प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं जहां खेतों का आकार बड़ा होता है लेकिन वहां अकाल रहता है। साथ ही ग्राउंड वाटर लेवल भी इतना नीचे है कि सिंचाई नहीं कर सकते। लिहाजा उन खेतों में किसान इतना अनाज भी पैदा नहीं कर सकता है। जिससे उसके परिवार का भी पेट भर सके।
इसी को मद्देनजर रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जनता की मांग पर सवर्ण आरक्षण में से भूमि सबंधी बाध्यता को समाप्त किया, लेकिन ईडब्ल्यूआरक्षण केंद्र ने लागू किया था। राजसस्थान में भूमि संबंधी बाध्यता समाप्त होने से यहां की सरकारी नौकरियों में तो आरक्षण मिल जाएगा ।
पर बड़ा सवाल केंद्र की नौकरियों में राजस्थान के ईडब्ल्यूएस आरक्षित वर्ग के युवाओं का है, क्योंकि इन सर्टिफिकेटस में पांच हैक्टेयर से ज्यादा जमीन वाले भी ईडब्ल्यूएस श्रेणी में आते हैं लेकिन केंद्र के नियम में ये छूट नहीं है। ऐसे में केंद्र की नौकरियों में भी राजस्थान के युवाओं को इन सर्टिफिकेट के आधार पर आरक्षण में लाभ नहीं मिलता। उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने भी शेखावत के समक्ष ये मांग रखी थी।
Published on:
03 Nov 2019 07:14 pm
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