
जयपुर. अच्छी सडक़ें विकास और सुगम सफर की प्रतीक होती हैं। बात जब नेशनल हाईवे की हो तो जनता के साथ-साथ व्यापारियों की उम्मीदों को भी पंख लग जाते हैं। नेशनल हाईवे से व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। इसी उम्मीद से जयपुर से गुरुग्राम के बीच बने चार लेन नेशनल हाईवे को छह लेन करने का सपना देखा गया था, लेकिन कई प्रयासों के बाद 17 साल में भी यह नेशनल हाईवे पूरा छह लेन नहीं बन पाया है। हाईवे पर अधूरा निर्माण कार्य और जगह-जगह बदइंतजामी ने जनता की कमर तोडक़र रख दी। सफर में समय ज्यादा लगने के साथ आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
जयपुर-गुरुग्राम छह लेन हाईवे: बदइंतजामी का सफर
दिल्ली की यात्रा के लिए दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे से एक नया ङ्क्षलक एक्सप्रेस-वे निकाल कर जयपुर की यात्रा तो सुगम कर दी गई, लेकिन जयपुर से दिल्ली वाया गुरुग्राम को जोडऩे वाले छह लेन हाईवे (एनएच 48) का काम आज तक अधूरा है। करीब 17 साल पहले एनएचएआइ ने जयपुर से गुरुग्राम के बीच बनी चार लेन सडक़ को छह लेन करने काम शुरू किया था। जहां-जहां काम चल रहा हैं, वे पूरा होने का नाम ही नहीं लेते। कई जगह तो सडक़ की हालत वैसी ही है जैसी 2009 में थी।
केंद्र सरकार ने 2009 में अजमेर रोड 200 फीट बाईपास से लेकर गुरुग्राम में खेडक़ी धोला टोल प्लाजा तक करीब 225 किलोमीटर चार लेन हाईवे को छह लेन हाईवे बनाने की घोषणा की थी। इसी साल सडक़ को छह लेन करने का काम भी शुरू हो गया। यह काम अक्टूबर 2011 में पूरा होना था, लेकिन किसी न किसी समस्या के चलते यह छह लेन सडक़ पूरी नहीं हो सकी। कभी ठेकेदार काम छोड़ कर भाग गए तो कभी कानूनी अड़चनों के चलते काम बंद रहा। कुछ जगह ग्रामीणों के विरोध ने सडक़ चौड़ी नहीं होने दी। इस कारण इस हाईवे पर सफर आसान नहीं है। जनता हिचकोले खाने को मजबूर है।
शाहजहांपुर टोल प्लाजा पर सबसे ज्यादा कमाई
जयपुर-गुरुग्राम हाईवे पर सड़क अधूरी होने से भले ही वाहन चालक परेशान होते हों, लेकिन कमाई के मामले में इस हाईवे के टोल प्लाजा सबसे आगे है। इस हाईवे पर तीन टोल प्लाजा हैं (शाहजहांपुर, दौलतपुरा, मनोहरपुर) और तीनों ही राजस्थान सीमा में है। केंद्र सरकार की ओर से पिछले दिनों टोल प्लाजा को लेकर दी गई जानकारी में बताया था कि पिछले पांच साल में अकेले शाहजहांपुर टोल प्लाजा पर वाहनों से 1884.45 करोड़ रुपए टोल के वसूले गए हैं। यह देश में किसी एक टोल नाके पर वसूली गई दूसरी सबसे बड़ी रकम है।
गडकरी के प्रयास भी नहीं हो सके पूरी तरह से सफल
केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद 2015 में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली से लेकर कोटपूतली तक बस से यात्रा की थी औैर वादा किया था कि यह छह लेन सडक़ 2016 तक हर हाल में बन जाएगी, लेकिन ऐसा हो ही नहीं पाया। एक समय तो ऐसा आ गया था कि केंद्र सरकार ने इस छह लेन सडक़ के काम पूरा होने के सवाल पर जवाब देना ही बंद कर दिया था।
एक्सप्रेस-वे से ट्रैफिक में नहीं मिली राहत
जयपुर से दिल्ली के बीच नया एक्सप्रेस-वे बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि छह लेन हाईवे पर ट्रैफिक कम होगा, लेकिन छोटी कारों को छोड़ अभी तक ज्यादा ट्रैफिक डायवर्ट नहीं हुआ है।
Published on:
25 Aug 2025 01:49 am
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