
डिजीटल इंडिया को लेकर बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं लेकिन उपभोक्ताओं की इस आम समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है कि उन्हें न मोबाइल पर नेटवर्क मिलता है, न इन्टनरनेट पर। महीने के डाटा पैक पर बड़ा खर्च होता है लेकिन उसकी रफ्तार परेशान कर देती है। किसी के कमरे में नेटवर्क नहीं आता तो कोई मोबाइल टावर के पास रहकर भी नेटवर्क की समस्या से जूझ रहा है। जेब को चपत लगाती कॉल ड्राप की शिकायतें भी बढ़ रही हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। मोबाइल सेवा के विस्तार के साथ स्मार्ट फोन जैसे ही बाजार में आया, शहर में भी मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या एकाएक बढ़ गई। आज ज्यादातर लोग स ोशल मीडिया से हर समय कनेक्ट रहते हैं लेकिन कमजोर मोबाइल नेटवर्क की परेशानी इस कदर बढ़ रही है कि कहीं सिग्नल नहीं मिलता, कहीं स्पष्ट बात नहीं होती, कहीं डाटा स्पीड से नहीं चलता। उपभोक्ताओं की जेब पर मार पड़ रही है लेकिन निराकरण नहीं हो रहा है।
ग्राहक सेवा केन्द्रों पर शिकायतों की भरमार : मोबाइल कंपनियों के ग्राहक सेवा केन्द्रों के नंबरों और स्टोर्स पर नेटवर्क, कॉल ड्राप और डाटा संबंधी उपभोक्ताओं की शिकायतों की भरमार है। वहां सीनियर इंजीनियर से बात कराने के लिए कॉल ट्रांसफर की जाती है और लम्बे समय तक इंतजार कराया जाता है। कई बार तो मोबाइल हैण्डसेट में ही समस्या बता दी जाती है।
यंू परेशान हो रहे उपभोक्ता
मोबाइल का नेटवर्क तो स्क्रीन पर दिखता है लेकिन मोबाइल पर स्पष्ट बात नहीं होती। पल-पल में मोबाइल नेटवर्क से बाहर हो जाता है।
नेटवर्क इतना कमजोर कि बात करते-करते कॉल ड्रॉप हो जाती है।
बीच-बीच में बात कट जाती है, आवाज अस्पष्ट आती है।
किसी के घर के एक कमरे में तो नेटवर्क आता है, दूसरे में नहीं।
मोबाइल पर टूजी से परेशान होकर थ्रीजी का डाटा प्लान लेने पर भी उपभोक्ताओं की परेशानियां कम नहीं हो रही।
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