राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) में शनिवार को दिनदहाड़े हुए शुटआउट में गैंगस्टर (Gangster) राजू ठेहट (Raju Theth) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। करीब 40 साल की उम्र वाला राजू ठेहट को प्वाइंट ब्लैंक रेंज से छात्र के वेश में आए चार हत्यारों ने गोली (Bullet) मारी है। हत्या करने की जिम्मेंवारी लॉरेंस बिश्नोई गिरोह (Lawrence Bishnoi) के एक प्रमुख सदस्य रोहित गोदारा (Rohit Godara) ने ली है। लारेंस बिश्नोई गैंग (Lawrence Bishnoi Gang) राजस्थान में आनंदपाल गैंग (Anand Pal Gang) के साथ धंधा करता था।
फेसबुक पर हत्या का एलान
सीकर में हुई इस हत्या की जिम्मेंदारी कश्मीर में आतंकियों की तरह ली गई है। जिस तरह से आतंकी वारदात करने के बाद सोशल मीडिया के सहारे जिम्मेंदारी लेते हैं। उसी तरह से इसमें भी किया गया है। राजस्थान के गैंगेस्टर रोहित गोदारा जिसकी उम्र करीब 25 साल से भी कम बताई जा रही है। उसने अपनी पोस्ट में लिखा है कि "राजू ठेहट की हत्या की जिम्मेदारी रोहित गोदारा (लॉरेंस बिश्नोई समूह) ने ली है. यह हमारे बड़े भाई आनंद पाल जी और बलबीर जी की हत्या का बदला है."
17 साल पहले शुरू हुई थी दुश्मनी
1990 का दशक एक तरफ अर्थनीति बदल रही थी तो दूसरी तरफ कालेज की राजनीति चरम पर थी। गैंग बनना और फिर गैंगवार होना यह आम बात थी। यह वही समय था जब सीकर का रहने वाला राजू ठेहट कालेज से ही अपराध की दुनिया में आ गया। 90 के दशक में जब वह सीकर के एसके कालेज में पढ़ रहा था तब उसकी दोस्ती बलबीर बनूड़ा से हुई और दोनों ने दूध बेचने का धंधा शुरू किया लेकिन जल्द ही शराब भी बेचने लगे।
शराब का धंधा बना विवाद
उस समय इस क्षेत्र की आपराधिक दुनिया का गॉडफादर गोपाल सिंह फोगावत था। राजू ठेहट, बलवीर बनूड़ा और उसके बहनोई विजयपाल, फोगावत के संरक्षण में काम करते थे। 2005 में शराब की बिक्री में कमीशन को लेकर विजयपाल से ठेहट का विवाद हो गया। मामला इस हद तक बढ़ गया कि ठेहट और उसके साथियों ने विजयपाल की हत्या कर दी जो कि बलवीर बनूडा का बहनोई भी था।
बहनोई की हत्या ने बदला समीकरण
सीकर की आपराधिक दुनिया यहीं से बदलना शुरू हो गई। जब यह घटना हो रही थी तो ठीक दूसरी तरफ आनंदपाल का उदय हो चुका था। फिर क्या था बलवीर बनूड़ा ने गोपाल फोगावत को छोड़कर आनंदपाल से हाथ मिला लिया। आनंदपाल की दुश्मनी धंधे को लेकर पहले से ही थी तो अब यह और बढ़ गई। 2006 में बलवीर बनूड़ा और आनंदपाल ने गोपाल फोगावत की हत्या कर दी। बनूड़ा ने खुद फोगावत को ब्लैंक रेंज से गोली मारी। इसके बाद ठेहट अकेला और कमजोर हो गया।
बलबीर बनूड़ा की हत्या
2012-13 में बलवीर बनूड़ा, आनंदपाल और ठेहट तीनों गिरफ्तार हो गए लेकिन दुश्मनी का दौर चरम पर रहा। 2014 में राजू ठेहट को जेल में अपराधी सुभाष मूंड ने आनंद पाल और बलवीर बनूड़ा के इशारे पर गोली मार दी। राजू घायल तो हो गया लेकिन बच गया और फिर एक बार शुरू हुआ आपरेशन बदला। राजू ठेहट ने भी पलटवार करते हुए बीकानेर जेल में आनंदपाल और बनूड़ा पर हमला करवाया। इसमें आनंदपाल तो बच गया लेकिन बनूड़ा मारा गया और अब लड़ाई सिर्फ आनंदपाल और राजू ठेहट के बीच बच गई थी।
दुश्मनी पर चढ़ा जाति रंग
सीकर में चल रही इस गैंगबाजी पर जातिय रंग तो चढ़ना ही था। गैंगेस्टर आनंद पाल ने रावणाा राजपूत के युवाओं में फोगावत की हत्या के बाद प्रसिद्धी पाई तो वहीं राजू ठेहट जाट युवाओं का रहनुमा बना। बलवीर बनूड़ा को मारने वाले ठेहट के सहयोगी को आनंद पाल और उसके लोगों ने बुरी तरह से मार दिया था।
ठेहट की टिप पर आनंद की मौत
अब राजू ठेहट बदला लेने के लिए फिर से मौके की तलाश में था। ऐसा माना जाता है कि 2017 में राजस्थान पुलिस को उसने ही टिप दी थी। राजस्थान पुलिस ने सीकर में हुई एक मुठभेड़ में आनंद पाल को मार गिराया था। इसके साथ ही आनंद पाल का अंत हो गया और राजू ठेहट अब निश्चिंत हो गया।
शराब सिंडीकेट का बदला
यह अंत नहीं था। यह एक और शुरूआत थी। दरअसल आनंदपाल ने जरायम दुनिया के लोगों को एक साथ लाकर सिंडीकेट बना लिया था। पंजाब लारेंस बिश्नोई, हरियाणा काला जठेड़ी और आनंद राजस्थान से शराब का पूरा धंधा संभालता था और तीनों में समन्वय का काम करती थी। अनुराधा चौधरी। आनंद की मौत के बाद अनुराधा ने बदला लेने के लिए काम किया और इसका अंत फिर 3 दिसंबर 2022 के रूप में लिखा गया। राजू ठेहट की मौत...
Published on:
04 Dec 2022 10:36 am
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