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सभी देश के स्कूलों में धरती मां से प्यार करना सिखाया जाना चाहिए: Jadav Payeng

जादव पायेंग(Jadav Payeng) को ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1979 में आई बाढ़ में असम के अरुणा सपोरी द्वीप(Aruna Sapori, River Island in Assam) की जमीन कीचड़ से खराब हो गई थी, लेकिन जादव ने अथक मेहनत से इस जमीन को जंगल में बदल दिया। पर्यावरण को बचाने के लिए उन्हें पद्म श्री पुरस्कार भी मिला है। पायेंग ने हर दिन एक पेड़ लगाने के लिए खुद को समर्पित किया है।  

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Jadav Payeng

Jadav Payeng

जादव पायेंग के कार्य ने बंजर भूमि को जंगल में बदल दिया है। उन्होंने यह काम न्यूयॉर्क शहर के प्रतिष्ठित सेंट्रल पार्क के लिए भी किया है। पायेंग ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि यह नाम उन्हें 40 सालों से पर्यावरण को बचाने के प्रयासों के लिए दिया गया है। सुंदरवन को बचाने के लिए 2012 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंसेज की ओर से सम्मानित किया गया और भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया(The Forest Man of India)’ का नाम दिया। वर्ष 2015 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।

वर्ष 2017 में उन्होंने ‘पेरिस इकोनॉमिकल फोरम फॉर क्लाइमेट चेंज के कार्यक्रम में प्रश्न किया था कि अगर ऑक्सीजन नहीं होगी तो इकोनॉमी का क्या महत्व होगा? जी 20 सम्मेलन में भी उन्होंने पर्यावरण को बचाने जैसा गंभीर मुद्दा उठाया था। पर्यावरण बचाने के लिए जादव को तीन बार फ्रांस बुलाया गया। जादव बताते हैं कि भारत के अलावा किसी देश के पाठ्यक्रम में धरती को मां कहना नहीं सिखाया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड में आक्सीजन का महत्व था। कोविड के दौरान ही उन्हें इंग्लैंड की महारानी की ओर से 128वां कॉमनवेल्थ पॉइंट्स ऑफ लाइट पुरस्कार मिला। इसी वर्ष उन्होंने वैश्विक नेताओं से पर्यावरण प्रणाली में संतुलन बनाने के लिए एक सप्ताह के लॉकडाउन लगाने का आह्वान भी किया।

महिलाओं की भूमिका अहम

स्कूली शिक्षा, महिलाओं और युवाओं पर जादव कहते हैं कि सभी देशों के स्कूलों में धरती से प्यार करना सिखाना चाहिए। भारत का एजुकेशन सिस्टम सही है और पे्रक्टिकल नॉलेज देता है। धरती को बचाने के लिए नई पीढ़ी को आगे आना पड़ेगा। वह युवाओं के साथ पौधारोपण में भी भाग लेते हैं। उन्होंने महिलाओं के लिए 60 फीसदी आरक्षण की मांग सरकार के सामने रखी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भूमिका सभी क्षेत्र में अहम है।

पेड़ लगाने के साथ ही उसकी देखभाल जरूरी

क्लाइमेट चेंज के बारे में पायेंग का कहना है कि सिर्फ पेड़ लगा देने से कुछ नहीं होगा, जब तक हम इसको बड़ा नहीं होंगे देंगे और तब तक इसकी देखभाल भी जरूरी है। किसी एक व्यक्ति के प्रयास से बदलाव नहीं लाया जा सकता है। सभी को प्रयास करना होगा। भारत के मौसम में भी विविधता है, इसलिए हमें पौधारोपण मौसम के अनुसार करना चाहिए। जादव पायेंग कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपने जन्मदिन के अवसर एक पौधा जरूर लगाना चाहिए।